हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने प्रशासनिक भ्रष्टाचार और ठेकेदारी के काले खेल को उजागर कर दिया है। हत्या के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद जो खुलासे हुए, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। सुरेश, जिसने अपने करियर की शुरुआत महज 1500 रुपये की नौकरी से की थी, आज करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया है।
1500 रुपये की नौकरी से करोड़ों की ठेकेदारी तक का सफर
सुरेश चंद्राकर ने साल 2008 में पुलिस विभाग में खानसामा (बावर्ची) के रूप में काम करना शुरू किया। महज 1500 रुपये की तनख्वाह पर काम करने वाले सुरेश ने धीरे-धीरे अधिकारियों और राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल कर ठेकेदारी में कदम रखा। 2012 से उसने छोटे-मोटे ठेके लेने शुरू किए, लेकिन 2016 में उसे 50 करोड़ रुपये की लागत से गंगालूर से नेलनार तक 32 किलोमीटर की सड़क बनाने का ठेका मिला।
इसके बाद सुरेश ने अधिकारियों के साथ साठगांठ करके इस ठेके का बजट 120 करोड़ रुपये तक बढ़वा लिया। हालांकि, आज तक यह सड़क पूरी नहीं बन पाई है, लेकिन ठेके की 90 प्रतिशत राशि सुरेश को मिल चुकी है।
सड़क का हाल और भ्रष्टाचार का खेल
गंगालूर-नेलनार सड़क का निर्माण कार्य बेहद घटिया स्तर का रहा। 17 किलोमीटर सड़क जो बनी भी थी, वह बारिश में बह गई। इसके बावजूद सुरेश के ठेके के तहत अधिकांश राशि का भुगतान हो चुका था। जब सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने इस मामले को उजागर करना चाहा, तो उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह ने आरटीआई लगाकर सड़क निर्माण घोटाले की जानकारी मांगी। न केवल जानकारी देने से इनकार कर दिया गया, बल्कि अजय को एट्रोसिटी एक्ट के तहत फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या
29 दिसंबर 2024 को पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने इस घोटाले की रिपोर्टिंग की थी। इसके महज तीन दिनों बाद, 1 जनवरी 2025 को सुरेश चंद्राकर ने कथित रूप से उसकी हत्या करवा दी। मुकेश की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह हत्या प्रशासन और पुलिस के भ्रष्ट तंत्र की वजह से हुई।
सुरेश चंद्राकर की विलासितापूर्ण जीवनशैली
1500 रुपये की नौकरी से शुरू करने वाले सुरेश ने बीते 7-8 वर्षों में नक्सल प्रभावित इलाकों में ठेकेदारी के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित कर ली। उसकी शादी को बीजापुर की अब तक की सबसे महंगी शादी माना जाता है। शादी में 20 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें दुल्हन को हेलीकॉप्टर से लाया गया। समारोह में बॉलीवुड स्टार और विदेशी नर्तकियां तक शामिल थीं।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
पत्रकारों और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सुरेश चंद्राकर की गतिविधियों पर प्रशासन ने कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। उसकी ठेकेदारी में पुलिस का पूरा समर्थन था। पत्रकार मुकेश की गुमशुदगी के मामले में भी पुलिस ने लापरवाही बरती। यदि स्थानीय पत्रकारों ने दबाव नहीं बनाया होता, तो मुकेश की लाश भी नहीं मिल पाती।
मुकेश चंद्राकर की हत्या और सड़क निर्माण घोटाले ने छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनीतिक तंत्र की गहरी सड़ांध को उजागर किया है। यह मामला सिर्फ एक पत्रकार की हत्या का नहीं, बल्कि उस तंत्र का है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है और आवाज उठाने वालों को चुप कराने का हर संभव प्रयास करता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार और न्याय प्रणाली इस मामले में क्या कदम उठाती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."