दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक नया नारा ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ दिया है, जो उनकी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति का हिस्सा बनता जा रहा है। इस नारे के जरिए वे कार्यकर्ताओं को एकजुट होने का संदेश दे रहे हैं, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी के अंदर विभाजन की आशंका बढ़ रही है। पिछले कुछ समय से सपा में कैडर में असंतोष और बिखराव की बातें उठ रही हैं, जिससे यादव वोट बैंक में भी दरार आने की चिंता जताई जा रही है।
पिछली सफलताएं और नई चुनौतियां
2014 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति अपनाकर सपा को 37 सीटें दिलवाई थीं, जबकि उनकी सहयोगी कांग्रेस ने भी छह सीटें जीती थीं। इस बार, मैनपुरी में भाजपा ने मुलायम परिवार से उम्मीदवार उतारकर उनकी चुनौती को और बढ़ा दिया है। अखिलेश ने अपनी पार्टी के तेज प्रताप यादव को करहल सीट से उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप सिंह को इसी सीट पर मैदान में उतारा है।
‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का अर्थ
अखिलेश यादव ने अपने नए नारे के जरिए कार्यकर्ताओं को आपस में जुड़ने और मिलकर काम करने की प्रेरणा दी है। उनका मानना है कि सकारात्मक नारे हमेशा प्रभावी होते हैं और नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार अब ढलान पर है, जबकि पीडीए चढ़ान पर है। इस संदर्भ में, उन्होंने भाजपा सरकार को गिरने वाली सरकार करार दिया है।
मुख्यमंत्री योगी पर हमले
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी हमलावर रुख अपनाया है। उन्होंने सुझाव दिया कि योगी को अपने सलाहकार बदलने चाहिए और भाजपा के भ्रष्टाचार पर कड़ी टिप्पणी की। उनके अनुसार, भाजपा के नेता “बचाने वाले नहीं, फंसाने वाले” हैं। उन्होंने बहराइच में पुलिस पर कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, यह दिखाते हुए कि कैसे पुलिस अब लोगों के लिए सुरक्षा का साधन नहीं रही।
आगामी उपचुनाव और चुनाव आयोग की भूमिका
अखिलेश ने आगामी उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं, विशेषकर फर्रुखाबाद, अलीगढ़ और फूलपुर के क्षेत्रों में कथित चुनावी धांधलियों के संदर्भ में। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव परिणाम बदलने में किसी का फोन था, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर संदेह खड़ा हो गया है।
समाजवादी पार्टी की राजनीति का दृष्टिकोण
अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय की राजनीति करती है और उन्होंने महाराष्ट्र में अपनी पार्टी की स्थिति को लेकर भी सकारात्मक दृष्टिकोण रखा। उन्होंने कहा कि जीत का प्रतिशत उनकी प्राथमिकता है, और इस बार उन्होंने ‘महा मतदान, महा सावधान’ का नारा दिया है।
इस प्रकार, अखिलेश यादव का ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का नारा न केवल उनकी पार्टी के लिए एक नई दिशा का संकेत है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत भी हो सकता है।