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November 25, 2024 12:46 pm

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पुलिस के पीछे भागती पुलिस…अपने महकमे की हकीकत से पर्दा उठाने डीआईजी बने खलासी

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार यह ख़बर पुलिस के खिलाफ ही है। बलिया जिले के नरही थाने में एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ ने संयुक्त कार्रवाई की, जिससे एक बड़ा खुलासा हुआ है। यहां पर करीब 1.50 करोड़ रुपये महीने की अवैध वसूली का मामला सामने आया है।

इस कार्रवाई के दौरान, एडीजी की टीम ने लगभग 22 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। कई अन्य पुलिसकर्मी अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। इन पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि वे ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे थे। उनके साथ कई दलाल भी शामिल थे, जो बलिया के भरौली बॉर्डर पर ट्रकों को रोकते थे, पहले उनकी तलाशी लेते थे और फिर पैसे लेकर उन्हें जाने देते थे।

इस मामले के उजागर होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “उत्तर प्रदेश में हो रहा है नया खेल: पहले होता था ‘चोर-पुलिस’ और भाजपा राज में हो रहा है ‘पुलिस-पुलिस’। ये है अपराध के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस का भंडाफोड़।”

राज्य सरकार इस घटना को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम मान रही है। बलिया में नए पुलिस अधीक्षक की तैनाती भी कर दी गई है और डीआईजी ने नए एसपी के साथ पुलिस महकमे की बैठक की है। 

बिहार के बक्सर से आने वाले ट्रक भरौली बॉर्डर से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हैं। पुलिस के अनुसार, ट्रक ड्राइवरों से पहले ही सांठगांठ कर ली जाती थी, और हर ट्रक से तय पैसे लेकर ही उन्हें पास होने दिया जाता था। पुलिस का कहना है कि इस बॉर्डर से रोजाना करीब 1000 ट्रक गुजरते हैं और हर ट्रक से 500 रुपये की वसूली की जाती थी।

आज़मगढ़ के स्थानीय पत्रकार मानव श्रीवास्तव ने बताया कि डीआईजी ने खुद कहा है कि हर ट्रक से 500 रुपये लिए जाते थे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भरौली बॉर्डर पर अवैध वसूली का यह काम आज से नहीं हो रहा है, यह पहले से ही चल रहा था, लेकिन अब पकड़े गए हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बॉर्डर पर लाल बालू, शराब और जानवरों की तस्करी भी होती रही है, लेकिन इतनी बड़े पैमाने पर धरपकड़ पहली बार पुलिस ने ही की है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की है और इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति का परिणाम बताया है।

उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार यह ख़बर पुलिस के खिलाफ खुद की कार्रवाई की है। वाराणसी ज़ोन के एडीजी पीयूष मोर्डिया और डीआईजी वैभव कृष्ण ने खलासी बनकर रात 1:30 बजे ट्रक पर सवार होकर यूपी-बिहार सीमा पर भरौली नाके पर छापा मारा। उनकी टीम ने जब पुलिसकर्मियों को ट्रक रोककर पैसे मांगते हुए देखा, तो एडीजी और उनकी टीम ने तुरंत कार्रवाई की और पुलिसवालों और दलालों को पकड़ लिया।

इस छापेमारी से पुलिसकर्मी ही निशाने पर आए। अचानक हुए इस एक्शन के दौरान पुलिस के जवान और दरोगा भागने लगे। जानकारी के अनुसार, नरही थानाध्यक्ष फरार होने में सफल रहे, जबकि कई लोग पकड़े गए। नरही और कोरंटाडीह के थानाध्यक्षों को निलंबित कर दिया गया है।

इस अभियान की योजना कई दिन पहले बनाई गई थी। डीजीपी प्रशांत कुमार को शिकायत मिली थी कि बक्सर से आने वाले ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही है। इसके बाद, निचले स्तर के अधिकारियों ने मामले की रेकी की और शिकायत को सही पाया। इसके आधार पर, एडीजी की अगुवाई में 24 सदस्यीय पुलिस टीम ने छापा मारा।

छापेमारी के दौरान दो नोटबुकें मिली हैं, जो कई महीनों की वसूली की जानकारी रखती हैं। इन नोटबुकों की जांच की जा रही है, जिससे कई और नाम सामने आ सकते हैं। पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जबकि मौके से एसओ और दरोगा फरार हो गए हैं।

नरही थाने के इंचार्ज पन्नेलाल समेत नौ पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है। एडीजी की टीम के साथ आज़मगढ़ के डीआईजी वैभव कृष्ण भी थे। वैभव कृष्ण ने मीडिया को बताया कि जब मामले की जानकारी मिली, तब रेकी की गई और पुष्टि होने के बाद ही रेड करने का फैसला लिया गया। इस रेड की जानकारी बलिया के एसपी को भी नहीं दी गई थी ताकि किसी को भनक न लगे; एसपी को रेड के बाद जानकारी मिली और वे मौके पर पहुंचे।

सरकार ने निलंबित पुलिसवालों और सीओ की सम्पत्तियों की विजिलेंस जांच कराने का फैसला किया है। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने भी इस तरह की रेड्स की सराहना की है और कहा कि पुलिस में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऐसी कार्रवाइयाँ नियमित रूप से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पकड़े गए पुलिसवालों को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए और इस प्रकार के अभियान को हर बॉर्डर पर लागू किया जाना चाहिए।

इस मामले में आज़मगढ़ पुलिस ने 16 दलालों को पकड़ा है। छापेमारी में 14 मोटरसाइकिल, 25 मोबाइल फोन, 2 नोटबुक और 37,500 रुपये नकद बरामद किए गए हैं। तीन पुलिसकर्मी अभी भी फरार हैं। डीजीपी ने भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 

बलिया के एसपी देवरंजन वर्मा और एएसपी दुर्गा शंकर तिवारी को हटा दिया गया है, जबकि सीओ सदर शुभ शुचिता को भी निलंबित कर दिया गया है।

यह कोई पहला मामला नहीं है जहां पुलिसवालों की भूमिका संदिग्ध रही है। पहले भी वाराणसी ज़ोन में पुलिसकर्मियों के अपराध में शामिल होने के मामले सामने आए हैं। हाल ही में, नादेसर चौकी के दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय को 42 लाख की लूट के मामले में गिरफ्तार किया गया था, और अप्रैल 2024 में अंबेडकर नगर में भी तीन पुलिसकर्मियों को अवैध वसूली के आरोप में निलंबित किया गया था।

गुजरात में भी एक मिलता जुलता मामला सामने आया है, जहां जूनागढ़ के तीन पुलिसकर्मियों पर बैंक अकाउंट डीफ्रीज़ करने के एवज़ में 25 लाख रुपये की मांग का आरोप है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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