राम कुमार सोनी की रिपोर्ट
गोंडा में गुरुवार को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे में चार लोगों की मौत हो गई और 26 लोग घायल हो गए। इस हादसे को लेकर एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी लापरवाही का खुलासा हो रहा है।
यह ऑडियो उस ट्रैक की स्थिति पर प्रकाश डालता है, जिस पर यह हादसा हुआ था। बताया जा रहा है कि यह ट्रैक पहले से ही डेंजर जोन में था। रेलवे के की-मैन ने अपने अधिकारियों को एक दिन पहले ही ट्रैक की खराब स्थिति के बारे में चेतावनी दी थी।
जिस दिन यह दुर्घटना हुई, उसी दिन भी की-मैन ने हादसे से आधे घंटे पहले ट्रैक में गड़बड़ी की सूचना दी थी। उसने अपने अधिकारियों को बताया था कि ट्रैक में गड़बड़ी है और पहिया उतर सकता है, जिससे बड़ी दिक्कत हो सकती है। लेकिन उसकी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया।
ऑडियो के वायरल होने के बाद रेल विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। लेकिन वायरल ऑडियो से यह जाहिर होता है कि अधिकारियों ने लापरवाही बरती।
ऑडियो में रेल कर्मी अपने सीनियर अधिकारियों से जोर-जोर से कह रहा है कि ट्रैक खराब है और आगे खतरा हो सकता है। उसने कहा कि गाड़ी पटरी से उतर सकती है, लेकिन उसकी बात को अनसुना कर दिया गया।
चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के हादसे के दिन ट्रैक की निगरानी करने वाला कर्मचारी छुट्टी पर था, इसलिए चार दिन पहले की-मैन आसने को ट्रैक की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई थी। आसने ने एक दिन पहले ही ट्रैक की खराब स्थिति की जानकारी दी थी।
हादसे के दिन, कुछ घंटे पहले उसकी मोबाइल स्विच ऑफ हो गई थी। इसके बाद उसने भागकर गेट पर जाकर एक बार फिर से अपने अधिकारी को ट्रैक की खराब स्थिति की सूचना दी थी। उसने कहा था कि पटेरिया के बीच गैप दिखाई दे रहा है।
अधिकारी ने कहा था कि कासन लगाने वाला है, लेकिन फिर भी उसकी बात नहीं सुनी गई। अगर समय रहते उसकी बात को सुना गया होता, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
Author: samachar
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