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26 December 2024 9:55 pm

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जीत के बाद भी चंद्रशेखर आजाद, धर्मेन्द्र यादव, अफजाल अंसारी सरीखे प्रदेश के 13 सांसदों की सांसदी खतरे में क्यों? 

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में यूपी से जीत हासिल करने वाले करीब 13 माननीय ऐसे हैं, जिनका आगे का सफर उन पर दर्ज मुकदमों के चलते मुश्किल भरा हो सकता है। क्योंकि इनके गंभीर धाराओं से जुड़े मुकदमों में आरोप तय हो चुके हैं। अगर पांच साल के दौरान इनके मुकदमे सजा के अंजाम तक पहुंचते हैं तो इन्हें अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है। जिन सांसदों पर आरोप तय हुए हैं, उनमें से ज्यादातर विपक्षी दलों के हैं।

चंद्रशेखर आजाद

नगीना से दिग्गजों को मात देने वाले आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ 36 मामले दर्ज हैं। इनमें से ज्यादातर गंभीर अपराध के हैं। चार अलग-अलग मामलों में कोर्ट में इन पर आरोप तय हो चुके हैं। अगर इन मामलों में सजा हुई तो चंद्रशेखर की कुर्सी खतरे में होगी, क्योंकि ज्यादातर मामले गंभीर धाराओं के हैं, जिनमें दो वर्ष से अधिक की सजा हो सकती है।

बाबू सिंह कुशवाहा

राजनीतिक परिदृश्य में हाशिए में जाने के बाद जौनपुर से सपा के टिकट पर जीत हासिल करने वाले बाबू सिंह कुशवाहा NRHM, आय से अधिक संपत्ति के मामलों समेत तमाम गंभीर मुकदमों में नामजद हैं। उनके खिलाफ 25 केस दर्ज हैं, जिनमें आठ मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। यूपी पुलिस के अलावा CBI और ED के केस भी हैं।

रामभुआल निषाद

सुलतानपुर से मेनका गांधी को हराकर संसद पहुंचने वाले राम भुआल निषाद पर भी आठ मामले दर्ज हैं। गोरखपुर में दर्ज गैंगस्टर और जानलेवा हमले के दो मामलों में कोर्ट में उनके खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं। इन मामलों में सजा होने पर उनकी सांसदी खतरे में पड़ जाएगी।

इमरान मसूद

सहारनपुर से कांग्रेस के टिकट पर जीते इमराम मसूद पर भी आठ मामले दर्ज हैं। इसमें ED का मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी है। मसूद के खिलाफ दो मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। आने वाले समय में ED का केस भी रफ्तार पकड़ सकता है।

अफज़ाल अंसारी

माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें गैंगस्टर ऐक्ट के एक मामले में उन्हें चार साल की सजा हो चुकी है। उनकी सदस्यता भी चली गई थी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद राहत मिलने से उनकी सदस्यता बच गई। हालांकि, उनका मामला हाई कोर्ट में लंबित है। अगर सजा का फैसला बरकरार रहा तो उनकी सदस्यता जानी तय है। चुनाव के दौरान भी इस आशंका के चलते उन्होंने अपनी बेटी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतारा था। इसके अलावा अफजाल पर दो केस में आरोप तय हो चुके हैं।

वीरेंद्र सिंह

चंदौली से सपा के टिकट पर जीते वीरेंद्र सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं के तीन मामले दर्ज हैं। एक मामले में 19 जुलाई 2023 को उन पर आरोप तय हुए हैं। गंभीर धाराओं वाले इस मुकदमे में अगर सजा होती है तो वह दो साल से अधिक की होगी।

धर्मेंद्र यादव

आजमगढ़ से जीत हासिल करने वाले सैफई परिवार के धर्मेंद्र यादव के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं। बदायूं में दर्ज एक मामले में धर्मेंद्र के खिलाफ कोर्ट में 21 दिसंबर 2023 को आरोप तय हो चुके हैं।

इनके खिलाफ भी आरोप तय

फतेहपुर सीकरी से बीजेपी के टिकट पर जीते राजकुमार चाहर पर दो मामले दर्ज हैं। इनमें गंभीर धाराओं के मामले में 16 अगस्त 2023 को आरोप तय हो चुके हैं। मोहनलालगंज से सपा के टिकट पर जीते आरके चौधरी के खिलाफ गोसाईंगंज में दर्ज गंभीर धाराओं के एक मामले में दिसंबर 2023 को आरोप तय हो चुके हैं। 

बस्ती से सपा के टिकट पर जीते राम प्रसाद चौधरी के खिलाफ कप्तानगंज में दर्ज एक मुकदमे में 20 सितंबर 2022 को और एक अन्य मामले में 27 जुलाई 2023 को आरोप तय हो चुके हैं।

रालोद के टिकट पर बागपत से जीते राजकुमार सांगवान के खिलाफ भी एक मामले में 26 फरवरी 2019 को आरोप तय हो चुके हैं। 

हाथरस से बीजेपी के टिकट पर जीते अनूप प्रधान वाल्मीकि के खिलाफ अलीगढ़ के पिसावां में दर्ज मुकदमे में 24 मार्च 2023 को आरोप तय हो चुके हैं। बिजनौर से रालोद के टिकट पर जीते चंदन चौहान के खिलाफ मुजफ्फरनगर के खतौली में दर्ज मामले में 16 मई 2023 को आरोप तय हो चुके हैं।

सजा के चलते कई का खत्म हुआ करियर

सुप्रीम कोर्ट के माननीयों के मामलों का तेजी से निस्तारण कराए जाने के आदेश का सबसे तगड़ा असर यूपी में ही देखने को मिला। वर्ष 2022 से मुकदमों के निपटारे ने जो तेजी पकड़ी है, उसमें कई माननीयों के फिर माननीय बनने का सपना ही टूट गया है। इसमें सबसे पहला नाम माफिया मुख्तार अंसारी का रहा। 

मुख्तार को एक के बाद एक सजाएं हुईं और वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गया। बाद में उसकी जेल में ही मौत हो गई। आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्लाह को भी अपनी लोकसभा व विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी। 

बीजेपी विधायक खब्बू तिवारी, विक्रम सैनी, राम दुलार गोंड, कुलदीप सिंह सेंगर और अशोक सिंह चंदेल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। 

इस कड़ी में ताजा नाम कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी का है। हाल में उन्हें सात साल की सजा हुई है और उनकी कुर्सी जाना तय है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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