इरफान अली लारी की रिपोर्ट
भाटपाररानी। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव हों।मतदाता लोकसभा तथा राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर अपना वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 एवं 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे। आज देश में एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
उक्त बातें श्री सिंह मंगलवार को कस्बे की मदन मोहन मालवीय पीजी कॉलेज सभा आर्मी सभा आर्मी राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वाधान में वन नेशन वन इलेक्शन नामक शीर्षक पर आयोजित एक दिवसीय विचार-गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कहीं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक चुनाव में भारी मात्रा में धन जुटाना पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने पर राजनीतिक दलों एवं सरकार को धन की अपव्ययता से मुक्ति मिलेगी। चुनावी खर्च को पर्याप्त रूप से कम किया जा सकता है ।
मुख्य वक्ता डॉ पवन कुमार ने एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा का आलोचनात्मक विश्लेषण किया और इससे जुड़े सफलताओं ,विफलताओं एवं चुनौतियों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे देश की सरकारों में स्थिरता आएगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर सतीश चंद गौड़ ने कहा कि इससे चुनावों की पारदर्शिता आयेगी। एक स्वस्थ और सकारात्मक सरकार का गठन होगा।
राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर कमलेश नारायण मिश्रा ने मुख्य अतिथि सहित सभी वक्ताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। राजनीति विज्ञान के आचार्य डॉ ज्ञान प्रकाश ने वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होने में संवैधानिक उपबंधों की चर्चा की।
गोष्ठी का संबोधन आचार्य प्रो सुधीर शुक्ला , प्रो राम अवतार वर्मा आदि वक्ताओं ने गोष्ठी पर अपना अपना पक्ष रखा। गोष्ठी में डॉ राकेश कुमार , डॉ मनीष नाथ त्रिपाठी डॉ अमीरलाल डॉ कीर्ति जायसवाल , डॉ शीलेंद्र पाठक , डॉ अंशुमान, डॉ अमन तिवारी , डॉ मनोज कुमार , डॉ रणजीत सिंह , डॉ अभिमन्यु , डॉ महेंद्र मिश्रा , डॉ सुशील कुमार पांडेय , डॉ अवनीत सिंहडॉ दिनेश शर्मा , डॉ मोहिनी सिंह , डॉ शक्ति सिंह , डॉ धर्मजीत मिश्रा , डॉ अरुण , डॉ जय सिंह डॉ शिवशंकर डॉ राधा , डॉ रवि सिंह , डॉ प्रवीण प्रजापति , डॉ श्याम , डॉ अमित डॉ अवध विहारी , डॉ संतोष जी , राजेशधर दूबे शिव प्रसाद , प्रवीण शाही ,शिव प्रताप सिंह आदि ने हिस्सा लिया।
Author: samachar
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