अरमान अली और नजमा की रिपोर्ट
श्रीनगर: 21 दिसंबर 2023 की दोपहर… कोई पौने चार बजे होंगे… एक जिप्सी और एक मिनी ट्रक, सेना के जवानों को लेकर राजौरी जा रहा था। मंजिल थी थानामंडी, वहां राष्ट्रीय राइफल्स की एक टुकड़ी तैनात है। जैसे ही गाड़ियां टोपा पीर के नीचे पहुंची, घात लगाकर बैठे आतंकवादियों ने हमला बोल दिया। उधर से गोलियों की बौछार होने लगी, जवानों ने एक पल नहीं सोचा और जवाबी फायरिंग शुरू की। गाड़ी के भीतर हर तरफ से गोलियां धंसती जा रही थीं। गन पाउडर की गंध सांसों में घुल रही थी कि अचानक एक गोली बदन में धंसती है। एक चीख निकलती है, लेकिन अगले ही पल उंगली ट्रिगर को और मजबूती से जकड़ लेती है। ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते दहशतगर्दों को अब अहसास होता है कि क्यों उनके आका इंडियन आर्मी की परछाई से भी डर जाते हैं।
राजौरी हमले की एक तस्वीर आई है। सेना की जिप्सी के पास एक खाली मैगजीन पड़ी है, लहू बिखरा है। यह लहू उन 5 वीरों का है जिन्होंने भारत मां का तिलक करते हुए सर्वस्व बलिदान कर दिया।
राष्ट्रीय राइफल्स का आदर्श वाक्य है- दृढ़ता और वीरता। गुरुवार को RR के जवान इन आदर्शों पर खरे उतरे। पूरी दृढ़ता और वीरता से आतंकवादियों का मुकाबला किया।
राजौरी और पुंछ जिलों के बॉर्डर पर घने जंगली इलाके में किए गए इस हमले की दो वजहें समझ में आती हैं। पहला- घाटी में आतंकियों का कोई लीडर बचा नहीं है तो अटेंशन के लिए ऐसे हमले किए जा रहे हैं। दूसरा- कम ऊंचाई के चलते पीर पंजाल रेंज के दक्षिण वाले हिस्से तक पहुंचना आसान है।
जम्मू के निचले इलाकों से आने वाले आतंकियों को कश्मीर घाटी तक पहुंचने के लिए पीर पंजाल रेंज जैसी कई ऊंची पहाड़ी रेंज पार करनी होंगी। इसमें वक्त भी लगता है और लॉजिस्टिक्स का भी मसला है।
यही लोकेशन क्यों चुनी
आतंकियों ने आर्मी की गाड़ियों को सुरनकोट में ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर निशाना बनाया।
यह एरिया राजौरी और पुंछ जिलों की सीमा पर स्थित है। यह घाटी के सबसे घने जंगलों वाले इलाकों में से एक है।
माना जा रहा है कि तीन से चार की संख्या में आतंकवादियों ने पहाड़ों से सेना के वाहनों को निशाना बनाने के लिए इस लोकेशन को चुना।
टोपा पीर के पास किया गया यह हमला हमला 1 दिसंबर 2001 की याद दिलाता है। जब आतंकवादियों ने इसी जगह पर राजौरी जिला और सत्र न्यायाधीश वीके फूल, उनके दोस्त और दो पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। वे भी राजौरी से पुंछ जा रहे थे।
2021 से राजौरी और पुंछ जिलों में अलग-अलग जगहों पर मुठभेड़ों में सेना के 34 जवान और एक दर्जन से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं। इनमें से 19 जवानों की मौत पिछले आठ महीने में हुई है। इस दौरान आतंकवादियों ने दस नागरिकों की भी हत्या कर दी।
2021 से इस साल 30 मई के बीच जम्मू-कश्मीर में 251 आतंकवादी घटनाएं हुईं। इनमें से 15 जम्मू क्षेत्र के तीन जिलों में और 236 कश्मीर घाटी में थीं।
Author: samachar
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