लखीसरायसमस्तीपुर

‘मिशन दक्ष’ पर भड़के अभिभावक ने कहा- शाम तक बच्चा स्कूल में रहेगा तो बकरी कौन चराएगा? हम भीख मांग कर खाएं… 

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 मोहसिन रजा की रिपोर्ट

किशनगंज: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव IAS केके पाठक ने अभियान छेड़ रखा है। हाल ये है कि केके पाठक ने इसके लिए कई ऐसे नियम लागू किए हैं। इन नियमों में से एक है मिशन दक्ष। मिशन दक्ष में टीचरों से अपनी क्लास के उन पांच बच्चों को चुनने के लिए कहा गया, जो पढ़ने में कमजोर थे। इसके बाद इन बच्चों की स्पेशल क्लास के लिए साढ़े 3 बजे से सवा 4 बजे तक समय तय किया गया। बस यही सारे मामले की जड़ में है। अब इसी मिशन दक्ष पर एक अभिभावक का वीडियो वायरल हो रहा है। हालांकि इस वायरल वीडियो की हम पुष्टि नहीं करते हैं।

मिशन दक्ष बना यक्ष प्रश्न

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वायरल वीडियो में एक महिला शिक्षक की आवाज आ रही है, लेकिन सामने से दिख रहे हैं टी शर्ट और लूंगी पहने एक अभिभावक। इस वीडियो में वो काफी गुस्से में नजर आ रहे हैं। अब पढ़िए इस वीडियो में कही जा रही सारी बातें ज्यों की त्यों।

अभिभावक: बकरी हमरा 8-10 गो कांय-कांय कर रहा है और दोनों तीनों बच्चा यहां है।

टीचर: का करें, सरकार कह दिया है कि…

अभिभावक: सरकार को हम गोली मार देंगे अगर हमरा सामने आया तो। हमर बकरी चराने के लिए भेज देंगे सरकार को।

टीचर: तो हमलोग क्या करें आखिर, हमलोग मजबूर हैं। 5 बजे तक रुकना है बच्चा सबको।

अभिभावक: आपलोग के भाषण पर चलके हमलोग को भीख मांग कर खाना पड़ेगा। आपको भी दिए न बच्चा, अब दे दीजिए। बकरी हमारा चार ठो बंधा हुआ है। सरकार के भरोसा पर कौन जीता है। आपलोग तनख्वाह लेते हैं, आप लोग जीते हैं। हमलोग नहीं जीते हैं। हमरे घर का भी पालन होना चाहिए। बच्चा का भविष्य दिन भर बनाइए, ई टाइम मत बनाइए। बोलिए, दिन भर आपलोग पालन किए न, ई टाइम में एक घंटा हम अपना बच्चा को मानेंगे। बकरी हमारा चार ठो है, पें-पें कर रहा है।

आखिर किस बात से हैं ये नाराज

दरअसल इस शख्स की चार बकरियां हैं। बच्चे सुबह स्कूल जाते हैं और शाम में इन बकरियों को चराते हैं। वीडियो में बातचीत से ऐसा लग रहा है कि इन बच्चों का चयन मिशन दक्ष में किया गया है। लिहाजा इन बच्चों को स्पेशल क्लास कराई जा रही होगी। लेकिन इस शख्स का कहना है कि अगर उसके तीनों बच्चे स्कूल में इतनी देर तक रहेंगे तो शाम में बकरियों को कौन चराएगा। इसी बात पर शिक्षकों और अभिभावक में बातचीत (हल्की बहस) हो रही है।

मिशन दक्ष कितना सफल

अब सवाल है किस मिशन दक्ष कितना सफल होगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहली दफा बिहार के सरकारी स्कूलों में ऐसी व्यवस्था हुई है। अगर अभिभावक टीचरों का सहयोग करें तो बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और बेहतर होगी। बजाए टीचरों से बहस करने के अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है। लेकिन ऐसे में अगर व्यवस्था को सुधारने की पहल की जा रही है तो उसमें अभिभावकों को भी अहम भूमिका निभानी होगी।

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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