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26 December 2024 6:38 pm

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बिहार से गोरखपुर और फिर लंबी उडान का सपना अधूरा छोड़ गए सहाराश्री सुब्रत रॉय

28 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर रात निधन हो गया। सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। मुंबई के एक निजी असप्ताल में उनका इलाज चल रहा था। खबर है कि आज उनका पार्थिव शरीर लखनऊ के सहारा स्टेट में लाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।

सहारा श्री के निधन पर सहारा इंडिया परिवार ने शोक व्यक्त किया है। दूसरी ओर उनकी मौत से बिहार के अररिया में भी शोक की लहर है। सुब्रत रॉय का जन्म बिहार के अररिया में हुआ था।

अररिया से जुड़ी है सुब्रत रॉय की यादें

सुब्रत रॉय की यादें बिहार के अररिया जुड़ी हुई है। पुराने लोगों को आज भी सुब्रत रॉय से जुड़ी बातें खूब याद करते हैं। 10 जून 1948 में जन्मे सुब्रत रॉय को बिहार में जानने वाले लोगों की कमी नहीं है। अररिया के आश्रम रोड में उनका घर है। हालांकि अब वहां कोई नहीं रहता है। केयर टेकर के हवाले उनका पैतृक घर है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले उनके घर तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। बाद में सुब्रत रॉय ने अपने खर्च पर बनवाया था। लोग बताते हैं कि उनके नाना का भी घर आश्रम रोड में ही है। सुब्रत रॉय के पिता सुधीर चंद्र रॉय सिविल इंजीनियर थे।

वाया कोलकात पहुंचे गोरखपुर

अररिया में जन्मे सुब्रत रॉय वाया कोलकाता गोरखपुर पहुंचे थे। दरअसल, सुब्रत रॉय की स्कूलिंग कोलकाता में हुई थी। स्कूलिंग के बाद सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग करने गोरखपुर पहुंचे। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो गोरखपुर में ही छोटा मोटा काम शुरू कर दिया। बताया जाता है कि 30 साल की उम्र में उनके पास मात्र 2000 रुपये थे। एक दौर यह भी थी कि एसबीआई ने उन्हें 5000 रुपये का लोन देने से मना कर दिया था।

शुरू की चिट फंड कंपनी

बाद में सुब्रत रॉय अपने दोस्ते के साथ मिलकर एक चिट फंड कंपनी की शुरुआत की। 80 के दशक में 100 रुपये कमाने वाले लोग उनके पास 20 रुपये जमा करते थे। कम रकम निवेश करने की स्कीम की वजह से लाखों की संख्या में लोग उनकी कंपनी में निवेश करने लगे। इसके बाद उनकी कंपनी और संपत्ति दोनों बढ़ती चली गई। हालांकि बाद में वो भी दौर आया कि जब उन पर लाखों निवेशकों के रुपये लेकर बैठने का आरोप लगा। तमाम नियामक जांच एजेंसियां और पुलिस उनके पीछे पड़ गई।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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