आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य काफी समय से हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने वाले बयान दे रहे हैं। अपनी राजनीतिक जमीन खो चुके मौर्य ऐसे विवादित बयान देकर चर्चा में बने रहते हैं, जो कि सपा के लिए नुकसानदायक हैं। राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो मौर्य के विवादित बयान लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के लिए संजीवनी का काम करेंगे। हालांकि अखिलेश यादव स्वामी के बयानों को तवज्जों नहीं दे रहे हैं, इसके बावजूद सपा को नुकसान होना तय है। उधर, पांच राज्यों के बाद जब उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनावों का माहौल बनेगा तो भाजपा इसे बड़े मुद्दा के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है।
इस पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं ‘उम्र के करीब सत्तरवें पड़ाव पर पहुंच कर स्वामी प्रसाद ने अपनी आस्था बयान की है। उन्होंने कहा कि वह दिपावली पर अपनी पत्नी का पूजन करते हैं। अभी तक वह अपने को बौद्ध कहते थे. वैसे पत्नी पूजन उनकी व्यक्तिगत आस्था है। इस पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती। यदि वह यही संदेश देकर रुक जाते तो इस पर चर्चा की भी कोई आवश्यकता नहीं थी, लेकिन सपा में पहुंच कर वह हिंदू अस्था पर प्रहार का एजेंडा चला रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने देवी लक्ष्मी पर अमर्यादित टिप्पणी की है। वह जानते हैं कि हिंदू उदारवादी हैं। सहिष्णु हैं। इसलिए हिंदू धर्म पर हमला बोलकर अपने को राजनीति में चर्चित रखा जा सकता है। स्वामी प्रसाद यही कर रहे हैं। अन्य मजहबों पर बोलने के खतरे उन्हें मालूम है। इसलिए उसका पूरा ज्ञान हिंदुओं के लिए रहता है।
उन्होंने कहा कि अच्छा यह है कि इस नेता की कोई विश्वसनीयता नहीं रहा गई है। पार्टी के अनुरूप इनके रंग बदलते हैं। बसपा में थे तो मायावती को एक हाथ से पुष्प गुच्छ देते थे, दूसरे हांथ से उनका चरणा स्पर्श करते थे। भाजपा में पहुंचे तो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के तत्व इनमें समाहित हो गए। इन दोनों दलों की यात्राओं के समय उनके निशाने पर सपा ही हुआ करती थी। बसपा में रहते हुए यह मुलायम सिंह यादव पर अमर्यादित टिप्पणी करते रहे। अच्छा है कि सपा के वर्तमान मुखिया उन बातों को याद नहीं करना चाहते। वैसे अखिलेश यादव को भी प्रदेश का सर्वाधिक विफल मुख्यमंत्री बताया गया था। आज स्वामी प्रसाद सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
Author: samachar
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