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19 January 2025 1:52 pm

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मौलाना अरशद मदनी ने फिर कई बड़े बयान जारी किए, पढकर आप दबा लेंगे दांतों तले उंगलियाँ

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

अपने बयानों से हमेशा विवादों में रहने वाले जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिर कई बड़े बयान जारी किए हैं। उन्होंने इजरायल-गाजा युद्ध से लेकर बढ़ती सांप्रदायिकता तक पर बयान दिया।

वह यहीं पर नहीं रुके, मदनी मुसलमानों से मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग स्कूल बनाने की भी मांग करते नजर आए। आइए जानते हैं उनके दिए बयानों के बारे में।

मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग स्कूल की मांग

अगर कोई मुस्लिम लड़का किसी गैर मुस्लिम लड़की के साथ नाजायज संबध बनाता है तो वो लानती है , और इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। इसी तरह कोई हिंदू किसी मुस्लिम लड़की के साथ ऐसा करता है तो भी नाकबिले बर्दाश्त है, लेकिन ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये पूरी रणनीति के साथ हो रहा है और उनके पास सबूत है कि मुस्लिम लड़कियों को मुर्दत(गैर मुस्लिम) बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में तो एक जाति की शादी दूसरी जाति में नहीं हो सकती, तो फिर मुस्लिम लड़कियों को क्यो टारगेट किया जा रहा है। मुसलमानों को चाहिए कि वो मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग स्कूल बनाए।

फिलिस्तीन आजाद होकर रहेगा- मदनी

मदनी ने कहा कि फिलिस्तीन और इजराइल की जंग की वजह से आज सांप्रदायिकता में ज्यादा गर्मी आ गई है। इजराइल द्वारा आज फिलिस्तीन के लोगों को गुलाम बनाया गया है और वो अपनी आजादी की जंग लड़ रहे हैं। मदनी ने कहा कि आजादी के लिए अपनी कुर्बानी देनी पड़ती है। किसी मुल्क की आजादी दूध पीकर नहीं मिलती बल्कि मरने मारने से मिलती है। बच्चे मर रहे है, महिलाएं मर रही है, दुख होता है लेकिन सच्चाई यही है आजादी के लिए तो कुर्बानी देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन आजाद होकर रहेगा।

मोहन भागवत से मिले थे मदनी

जो लोग सांप्रदायिकता के नारे लगाते है, उन्हे सोचना चाहिए कि इससे मुल्क बर्बाद हो जाएगा। देश को इस तरफ बढ़ने से रोका जाए। आज हालात ये हो गए है कि किसी की जरा सी गाड़ी टकरा जाए तो एक दूसरे को कत्ल कर देते है। जब देश का कानून है, संविधान है, तो अपना काम करेगा।

मदनी ने बताया कि 4 साल पहले उनकी RSS प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात हुई थी। वहां मदनी ने झारखंड का जिक्र किया था लेकिन उनकी बात को सुना अनसुना कर दिया गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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