आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान एक बार फिर से जेल में हैं। इस बार वह अपने परिवार के साथ ही जेल की सलाखों के पीछे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के समय से आजम के लिए मुश्किलों का दौर शुरू हुआ था, जो आगामी लोकसभा चुनाव के आते-आते काफी हद तक बढ़ चुका है। आजम अभी तक सपा में अल्पसंख्यक समुदाय का अहम चेहरा रहे हैं। लेकिन अब उनका राजनीतिक वजूद खतरे में है। ऐसे में अखिलेश यादव के सामने नए मुस्लिम चेहरे का संकट पैदा हो गया है। सवाल है कि आजम की जगह समाजवादी पार्टी में कौन विकल्प तैयार होगा?
फायर ब्रांड नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान सपा में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। लेकिन चार मुकदमों में सजा के बाद आजम के सितारे गर्दिश में हैं। उन्होंने बेशक अपील दायर की है लेकिन विभिन्न अदालतों में विचाराधीन मुकदमों में फैसला जल्दी आने की उम्मीद है। बात केवल इतनी ही नहीं है। सपा नेतृत्व के सामने मुस्लिम चेहरे का संकट भी पैदा हो गया है। ऐसे में आजम की जगह सपा में मुस्लिमों का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज है।
2024 के लोकसभा चुनाव के नजदीक होने के कारण सपा नेतृत्व के सामने मुस्लिम नेतृत्व की समस्या बनी हुई है। अगर सपा के मुस्लिम नेताओं पर नजर डालें तो संभल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क एक विकल्प हो सकते हैं। उनके पास काफी लंबा सियासी तजुर्बा भी है। लेकिन बढ़ती उम्र का संकट है। इसके साथ ही बसपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर भी रोड़ा बन सकता है।
बर्क के साथ ही मुरादाबाद से सांसद डॉ. एस.टी. हसन को समाजवादी पार्टी ने संसदीय दल का नेता बनाया है। लेकिन वह भी पिछले दिनों बसपा के पक्ष में बयान देकर अखिलेश को दुविधा में डाल चुके हैं। इसके बाद चर्चा राज्यसभा सदस्य जावेद अली की है, जिन्हें विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन की समन्वय समिति में शामिल किया गया है। वह रामगोपाल के खास माने जाते हैं।
इसके अलावा मुरादाबाद की कांठ विधानसभा सीट से विधायक कमाल अख्तर हैं। अख्तर को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खास नेताओं में शुमार किया जाता है।
अब जब लोकसभा चुनाव में गिना-चुना समय ही बाकी रह गया है तो ऐसे में अखिलेश को जल्द ही मुस्लिम चेहरे को सामने लाना होगा। अल्पसंख्यक चेहरे को प्रमोट किए बिना उनकी राह थोड़ी मुश्किल साबित होगी।
Author: samachar
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