आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश नोएडा के निठारी गांव में बनी कोठी ्डी-5, इसी कोठी से याद कर लीजिए 17 साल पुरानी वो घटना जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली की अय्याशी का अड्डा ये कोठी जहां दफन थे काले राज वो एक केस के बाद पूरी दुनिया के सामने आ गए। उस दिन तक इस कोठी के अंदर जो चल रहा था वो बंद दरवाजों के पीछे था। बंद दरवाजों के पीछे छुपी हुई थी लड़कियों और बच्चों की चीखें, उनके दर्द की आवाजें, उनका खून, उनकी हड्डियां, उनके कंकाल, लेकिन उस केस ने सब कुछ सामने ला दिया।
फिर याद आया वो खौफनाक निठारी कांड
नोएडा के एक घर में काम करने वाली 19 साल की लड़की पायल रोज निठारी गांव से होकर गुजरती थी। दोपहर वापस अपने घर भी वो उसी रास्ते से होकर जाती थी। 5 अक्टूबर के दिन पायल जिस घर में काम करती थी वहां से रिक्शा लेकर निकली। उसने रिक्शे वाले को निठारी की कोठी डी-5 के बाहर रुकने के लिए कहा। पायल ने कहा कि वो अभी पांच मिनट में अंदर से आ रही है, लेकिन पांच मिनट आधे घंटे में तब्दील हो गए। पायल ने रिक्शेवाले को पैसे भी नहीं दिए थे। रिक्शेवाले ने अंदर जाकर पायल के बारे में पूछा।
कैसे खुले थे नोएडा की डी-5 कोठी काले राज?
इस कोठी के अंदर इस रिक्शेवाले की मुलाकात एक शख्स से हुई जिसका नाम था सुरेंद्र कोली। सुरेन्द्र ने रिक्शेवाले को कहा कि पायल तो काफी देर पहले ही निकल गई है, लेकिन ये बात उसे कुछ हजम नहीं हुई। वो रिक्शे के साथ गेट के सामने ही खड़ा था और उसने पायल को कोठी से निकलते हुए नहीं देखा था। रिक्शेवाले ने पायल के घर का पता लगाया और उसके परिवार को बताया कि पायल इस कोठी में अंदर गई थी और वापस नहीं आई।
पायल की हत्या और कंकालों का जाल
पायल के पिता ने बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई और फिर पहली बार निठारी की ये कोठी पायल केस के मामले में चर्चा में आई, लेकिन अभी तो कहानी की शुरुआत हुई तो आगे तो जो हुआ उसने पूरे देश के लोगों की रूह कंपा दी। पायल के पास एक मोबाइल था वही उसके लापता होने का अहम सुराग था। पुलिस कॉल डीटेल्स निकाली तो उससे मुंबई में कई नंबरों पर फोन हुए थे। इन नंबरों का सीधा संबंध कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली से था। इसके अलावा पुलिस को पायल की सेंडल भी कोठी डी-5 के पास से मिली।
40 पैकेट में थे महिला और बच्चों की लाश टुकड़े
पुलिस ने डी-5 कोठी में रेड की तो सामने आया नरपिशाचों की खौफनाक हकीकत। हालांकि तब तक सुरेन्द्र कोली अपने गांव उत्तराखंड जा चुका था। पुलिस ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जाकर सुरेन्द्र कोली को गिरफ्तार किया। पुलिस ने सख्ती से इन दोनों से पूछताछ की तो इन्होंने बताया कि पायल की हत्या कर दी गई है। पायल का रेप करने के बाद उसकी हत्या की गई और फिर उसके शरीर को कोठी के पास वाले नाले में फेंक दिया गया है। ये तो बस एक सच था। इसके बाद तो कई सच आने बाकी थे। पायल की लाश की तलाश शुरू हुई तो नाले से पायल की लाश के साथ-साथ 40 पैकेट में मिले जिसमें कई बच्चों और महिलाओं के कंकाल, हड्डियां, टुकड़े मौजूद थे।
कोठी के अंदर होता था महिलाओं और बच्चों से कुकर्म
इस कोठी के अंदर लंबे समय से ये खूनी खेल खेला जा रहा था। 19 लोगों के कंकाल बरामद किए गए। इस केस ने हर किसी को हिलाकर रख दिया। कोई सोच भी नहीं सकता था कि नोएडा के इस छोटे गांव में बनी इस कोठी में ऐसा भयानक कांड हो सकता है। एक के बाद एक केस सामने आने लगे। ये लोग बहला फुसलाकर काम करने वाली महिलाओं और छोटे बच्चों को कोठी में बुलाते और फिर उनके साथ यौन शोषण कर उनकी हत्या कर देते। लाशों को पास के नाले में फेंक देते।
मोनिंदर पंढेर की अय्याशी का अड्डा थी डी-5 कोठी
ये कोठी पंजाब के बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढेर की थी। पहले वो यहां अपने परिवार के साथ रहता था, लेकिन साल 2004 के बाद उसका परिवार पंजाब चला गया। इसी दौरान सुरेन्द्र कोली जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा का रहने वाला था, इसके संपर्क में आया। सुरेन्द्र कोली खाना बनाने में माहिर था और पहले खाना बनाने का ही काम करता था। यहां वो पंढेर का पूरा घर का काम संभालने लगा और दोनों एक साथ इस कोठी में रहने लगे। बताया गया कि ये कोठी मोनिंदर पंढेर की अय्याशी का अड्डा थी जहां अक्सर कॉल गर्ल्स आया करती थी और उन्हें मैनेज करता था कोली।
पास में बह रहे नाले से मिले थे 19 नरकंकाल
जो खबरे सामने आई थी उनके मुताबिक सुरेंद्र कोली को एक बीमारी हो गई थी जिसका नाम था नेक्रोफीलिया। इस बीमारी की वजह से वो बच्चों के प्रति आकर्षित होता था और फिर उन्हें अपने जाल में फंसाता था तो कभी जबरदस्ती उन्हें इस कोठी में खींच लेता था। उनके साथ यौनशोषण करता था और फिर हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देता था। पुलिस को 19 नर कंकाल मिले थे जिनमें से 10 महिलाओं के जबकि 9 बच्चों के थे। ये सारे आसपास के इलाकों से गायब हुए लोग थे। जब पुलिस के सामने ये हकीकत आई तो पुलिस ने इस कोठी के सामने एक पिकेट बना ली। करीब एक महीने तक ये पुलिस पिकेट वहां थी तो उस दौरान एक भी बच्चा गायब नहीं हुआ।
हाईकोर्ट ने किया दोनों को दोषमुक्त
हालांकि इस खौफनाक निठारी केस में पुलिस की कई लापरवाहियां भी सामने आईं थीं और इस वजह कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई थी। दो कांस्टेबल को बर्खास्त भी किया गया था। बाद में ये केस सीबीआई के पास गया और CBI ने 16 मामले दर्ज किए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिली।मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ 6 मामले दर्ज हुए थे जिनमें से 3 में उसे फांसी की सजा दी गई थी। दोनों ने ही इस सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी और अब इन सभी मामलों में कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया है, दोषमुक्त कर दिया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."