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November 1, 2024 4:12 pm

दहशत के साये में गरजा योगी का बुलडोजर ; आखिर दबंगई पर शुरू हुआ सरकारी प्रहार 

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

बांदा।  मामला बांदा जनपद की तहसील नरैनी कोतवाली क्षेत्र नरैनी के ग्राम पुकारी का है यहां पर चतुर्वेदी परिवार के सदस्यों की जमीन थी जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए उक्त जमीन दान की थी। उसमें ग्रामवासियों के द्वारा बडौरा बाबा का मंदिर बनवाया गया था। वहां हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर 13जनवरी से 15जनवरी तक तीन दिन मेला लगता है। 

बड़ौरा बाबा का भंडार गृह का निर्माण पुल के ठेकेदारो ने करवाया था जिसमें भंडारा आदि का कार्यक्रम श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता था और आज भी किया जा रहा था।

ज्ञात हो इसी मंदिर एंव भंडार गृह के बगल से श्मसान की भूमि है जंहा पर हिन्दू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग अपनी रीति रिवाज से अपने-अपने दिवंगत सदस्यों के कृतकांडो को अंजाम देते चले आ रहे हैं। 

उसी सार्वजनिक जगह पर दस वर्ष पहले ग्राम प्रधान द्वारा एक हरिजन के नाम उक्त भूमि पर 19 बिस्वा का लगभग पट्टा कर दिया गया जिसमें कुछ समय बाद नसीब एंव रहीश निवासी रंजीत पुर ने अपने माफिक के हरिजन को जमीन उक्त पट्टेदार से खरीदवा ली और स्वयं इन दबंगों ने दबंगई के साथ इस सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करते हुये अवैध निर्माण कर लिया। जबकि उक्त नंबर का क्षेत्रफल रक्वा का विस्तार आज इनकी दबंगई के चलते ज्यादा है।

इस संम्बंध में जब ग्राम वासियों ने विरोध करते हुये प्रशासन का दरवाजा खटखटाया तब जाकर तेज तर्रार जिलाधिकारी बांदा दुर्गा शक्ति नागपाल के आदेशानुसार प्रशासनिक अमला हरकत में आया और अधिकारियों द्वारा जब पैमाइश की गई तो उसका रक्वा सार्वजनिक बडौराबाबा के स्थान से बहुत पीछे पश्चिम की ओर निकला जिसको आज रात्रि लगभग दस ग्यारह बजे परगना अधिकारी नरैनी पुलिस क्षेत्राधिकारी नरैनी ने अपने अमले के साथ मौके पर पहुंचकर किये गये अबैध निर्माण का आंशिक भूभाग पर फौरीतौर पर बुलडोजर चलवाकर अपनी पीठ थपथपा ली है। 

अब भी अबैध निर्माण का अधिकांश भूभाग यथावत खड़ा हुआ है। जबकि अधिकारियों द्वारा की गयी पैमाने के अनुसार उक्त जमीन पर दबंग का कोई हक नहीं फिर बुलडोजर चला कहां और किस पर और आखिर प्रशासनिक जिम्मेदारों ने अर्धरात्रि में ही क्यों चलाया बुलडोजर ? समूचा कब्जा ना हटाकर सिर्फ आंशिक कार्यवाही ही क्यों? 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."