अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया’ के एक घटक दल समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच पहली चुनावी टक्कर के लिए बिसात बिछ गई है। उत्तर प्रदेश में पांच सितंबर को होने वाले घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए दोनों पक्षों के नेता अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
कांग्रेस और वाम दलों ने न केवल समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार को समर्थन दिया है, बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता को प्रदर्शित करते हुए, उनके लिए प्रचार भी कर रहे हैं। यहां तक कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) भी सपा उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने के काम में लगी है। हालांकि आप का उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा जनाधार नहीं है।
घोसी सीट 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट से विजयी हुए प्रमुख ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के पिछले महीने भाजपा में शामिल होने और सदस्यता से त्यागपत्र देने के कारण रिक्त हुई है। भाजपा ने उपचुनाव में चौहान को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके पहले दारा सिंह चौहान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली (2017-2022) सरकार में वन मंत्री थे और उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा सरकार को दलितों-पिछड़ों की विरोधी बताते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण की थी। सपा ने सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है। सिंह को कांग्रेस, माकपा और भाकपा (एमएल)-लिबरेशन से समर्थन मिला है।
दिलचस्प बात यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव, जिन्होंने पिछले साल रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर अन्य दो प्रतिष्ठित उपचुनावों के लिए प्रचार नहीं किया था, उन्होंने घोसी में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। यादव ने कहा था कि यह चुनाव देश की राजनीति में बदलाव लाएगा। सपा अपना गढ़ कहे जाने वाले रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव हार गई। सपा प्रमुख ने 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट से जीत हासिल की थी, जबकि पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने रामपुर सीट पर जीत हासिल की थी। मार्च 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सफलतापूर्वक जीतने के बाद इस जोड़ी ने सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा को चुनौती देने के लिए जमीनी स्तर पर आवश्यक ठोस प्रयासों के महत्व को महसूस करते हुए, यादव, जो ‘इंडिया’ गठबंधन की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, ने कहा , “जो दल कभी हमारे खिलाफ थे, वे अब सपा का समर्थन कर रहे हैं। हम समाजवादियों का समर्थन करने के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह एक महत्वपूर्ण लड़ाई है। यह आपका (मतदाताओं का) बड़ा फैसला होगा क्योंकि उपचुनाव के नतीजे देश की राजनीति में बदलाव लाएंगे।” यादव ने यह भी रेखांकित किया कि उत्तर प्रदेश में ऐसा चुनाव शायद ही देखा गया होगा, जहां “सपा उम्मीदवार के लिए जाति से लेकर धर्म तक सभी सीमाएं टूट गईं”। हालांकि वामपंथी दल लंबे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर हैं, लेकिन क्षेत्र में उनका प्रभाव महत्वपूर्ण बना हुआ है।
INDIA के लिए बनी प्रतिष्ठा की लड़ाई
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा, “घोसी एक ऐतिहासिक स्थान है जहां से कॉमरेड झारखंडे राय 1952 से 1985 तक सांसद या विधायक रहे थे। पूर्वांचल क्षेत्र में यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रमुख घटक से तीन प्रमुख दल सक्रिय हैं – सपा, भाकपा और कांग्रेस, और साथ ही माकपा एवं रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) ने मिलकर इस लड़ाई को प्रतिष्ठा का चुनाव बना दिया है।” अंजान ने कहा कि वरिष्ठ सपा नेता शिवपाल सिंह यादव घोसी में डेरा डाले हुए हैं, जबकि एक अन्य वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव भी क्षेत्र में हैं।
अंजान ने कहा, ”चूंकि मैंने वहां (घोसी) से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा है और मेरा वहां एक संगठन है, इसलिए सीट पर हमारा समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि भाकपा कार्यकर्ताओं ने पहले ही वहां काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख अजय राय, जो पहले ही सपा उम्मीदवार सिंह को समर्थन की घोषणा कर चुके हैं, ने कहा कि अन्य भाजपा विरोधी दलों द्वारा समर्थित सपा उम्मीदवार भारी जीत के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि बूथ स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पहले ही अपना काम शुरू कर दिया है और सिंह के लिए समर्थन मांगने के लिए ग्रामीणों तक पहुंच रहे हैं।
मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा
एनडीए द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में अंजान ने कहा कि भाजपा ने क्रमशः मौर्य और ब्राह्मण मतों को हासिल करने के लिए अपने दो उपमुख्यमंत्रियों – केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को तैनात किया है। अंजान ने कहा कि उप्र सरकार का पूरा मंत्रिमंडल निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर रहा है, 32 मंत्री पहले ही वहां जा चुके हैं और विभिन्न जातियों के मंत्रियों को तैनात करके जाति समीकरणों का प्रबंधन किया जा रहा है। अनुमान के मुताबिक, घोसी में 4.37 लाख मतदाताओं में से 90,000 मुस्लिम, 60,000 दलित और 77,000 मतदाता “उच्च जाति” से हैं जिनमें 45,000 भूमिहार, 16,000 राजपूत और 6,000 ब्राह्मण हैं। अंजान ने कहा, चूंकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, इसलिए इसके मूल वोट बैंक को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
भाजपा के अभियान का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है, जिन्होंने एक चुनावी बैठक के दौरान विपक्ष पर निर्वाचन क्षेत्र के बजाय अपने व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया था। योगी ने कहा था, “समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से जुड़े लोगों को निर्वाचन क्षेत्र की कोई चिंता नहीं है। हमने बिना किसी भेदभाव के लोगों के लिए काम किया है।
ओम प्रकाश राजभर के सामने चुनौती
चुनाव अभियान में भाजपा की सहायता के लिए इसके नए साथी सुहेलदेव बहुजन समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर हैं, जो अपने बेटों के साथ लगातार निर्वाचन क्षेत्र के कुछ हिस्सों का दौरा कर रहे हैं। राजभर ने 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के हिस्से के रूप में लड़ा और हाल ही में राजग में शामिल हुए। वह विशेष रूप से सपा प्रमुख यादव पर निशाना साधते रहे हैं और घोषणा करते रहे हैं कि भविष्य में यादव समुदाय से कोई भी व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनेगा। एनडीए के दो अन्य सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी भी अभियान में सहायता कर रहे हैं। हालांकि राजभर के सुभासपा से अलग हुए एक नए दल सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी (एसएसपी) ने सपा के सिंह को समर्थन देने की घोषणा की है।
सुभासपा और एसएसपी दोनों राजभरों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती हैं, जो एक ओबीसी समूह है और निर्वाचन क्षेत्र में उसकी एक बड़ी आबादी है। सपा के सहयोगी रालोद और अपना दल (कमेरावादी) ने अपने कार्यकर्ताओं को भाजपा उम्मीदवार की हार सुनिश्चित करने के लिए सिंह का समर्थन करने का निर्देश दिया है। हालांकि उपचुनाव का भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिसे 403 सदस्यीय सदन में पूर्ण बहुमत प्राप्त है, लेकिन इसका परिणाम महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह अगले साल के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहा है और यह भविष्य का रुझान का संकेत हो सकता है।
अगले साल लोकसभा चुनाव है। यह सत्ताधारी सरकार के लिए उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का एक अवसर होगा, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि ‘इंडिया’ गठबंधन कितना प्रभावी होगा। सपा की जीत से ‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर यादव की स्थिति और भूमिका मजबूत होगी तथा राजनीतिक रूप से 80 लोकसभा सीट वाले महत्वपूर्ण राज्य में गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए उनकी भूमिका भी पक्की हो जाएगी। उपचुनाव पांच सितंबर को होगा और मतों की गिनती आठ सितंबर को होगी।
Author: samachar
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