अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
आज पूरा देश अंजू, सीमा हैदर और ज्योति मौर्या को लेकर चर्चा कर रहा है, लेकिन बलिया की जानकी की कहानी इन सबसे अलग है। जहां एक ओर ‘बेवफा’ पत्नियों की कहानी हैं तो वहीं जानकी 10 साल पहले खोए पति को आज भी तलाश रही है।
28 जुलाई को बलिया मेन रोड पर 10 साल से लापता पति मिलने पर जानकी का अनोखा प्यार देखने को मिला। लेकिन उसकी यह ख़ुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई। वह जिसे अपना खोया पति समझकर घर लाई थी वह कोई और निकला।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक महिला सड़क किनारे बैठे विक्षिप्त को गले लगा रही थी और उसके बाल सहला रही थी। साथ ही वह रो भी रही थी। लोगों ने पूछा तो उसने बताया कि शख्स उसका पति है जो 10 साल पहले गायब हो गए थे। इसके बाद जानकी उस शख्स को अपना पति समझकर घर ले आई। लेकिन घर पहुंचते ही जानकी की कहानी में नया ट्विस्ट आ गया।
घर पहुंचने पर जब जानकी ने अपने पति मोतीचंद के शरीर पर पहले का निशान देखा गया तो वो निशान दिखाई नहीं दिये। जिसके बाद जानकी ने शंका जाहिर कि की शख्स उसका पति मोतीचंद नहीं कोई और है। फिर उस शख्स के बारे में पता लगाया गया तो मोतीचंद नगरा थाना क्षेत्र का राहुल निकला। इसके बाद राहुल के परिजनों से गांव के प्रधान और कुछ लोगों ने संपर्क किया और राहुल के परिजनों को बुलाकर उनके सुपुर्द कर दिया।
बलिया जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र अन्तर्गत देवकली निवासी मोतीचंद वर्मा (45 वर्षीय) की शादी जानकी देवी से 21 वर्ष पहले हुई थी। जिनके तीन पुत्र हुए। कुछ दिन बाद मोतीचंद की मानसिक स्थिति बिगड़ी और वे लापता हो गए। पत्नी ने रिश्तेदारों के सहयोग से काफी खोजबीन की, लेकिन कहीं पता नहीं चला। तीनों बेटों को साथ लेकर किसी तरह जीवन यापन करती रही। दूर-दूर तक खोजबीन की सोखा और तांत्रिक के तमाम दावे पर विश्वास कर पैसा रुपया भी खर्च किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। अचानक 10 वर्ष के बाद जिला अस्पताल बलिया में अपने बेटे का इलाज करने आ रही थी। तो रास्ते मे जख्मी रूप से फटे पुराने कपड़े पहने बड़ी दाढ़ी वाले एक व्यक्ति पर नजर गई, तो उसने अपने पति के रूप में पहचान लिया। और रोते बिलखते अपने पति को कभी गले लगाती तो कभी ईश्वर को याद करती रही। 10 वर्षों के बाद पति-पत्नी का मिलन हर किसी के दिल को छू गया। इस दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ गई। इस स्थिति का अनुभव हर किसी के आंखों को गिला कर गया। लेकिन जानकी की यह ख़ुशी ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी। वह जिसे अपना पति मोतीचंद मान रही थी वह कोई और निकला।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."