सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारा हाई हो गया है। समाजवादी पार्टी की लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर बड़ा झटका लगा है। विधायक दारा सिंह चौहान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यूपी चुनाव 2022 से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी छोड़कर दारा सिंह चौहान ने सपा की सदस्यता ली थी। इसके बाद उन्हें सपा ने घोसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। दारा सिंह चौहान पार्टी उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। लेकिन, यूपी निकाय चुनाव के बाद से उनका मन डोल रहा था। एक बार फिर दारा सिंह चौहान को भाजपा रास आने लगा। दावा किया जा रहा है कि पार्टी की ओर से उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारे जाने का ऑफर दिया गया है। मऊ या घोसी लोकसभा सीट से दारा सिंह चौहान को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। इस प्रकार की कयासबाजियों के बीच सपा से इस्तीफा देने के बाद दारा सिंह चौहान ने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। तेजी से बदलता राजनीतिक घटनाक्रम अखिलेश यादव के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
अखिलेश यादव को लगा झटका
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी की सियासत में पार्टी को भाजपा के मुख्य मुकाबले में खड़ा करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले दिनों PDA (पिछड़ा-दलित एलायंस) बनाने की घोषणा की। इस प्रकार की रणनीति के पीछे पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए स्वामी प्रसाद मौर्य की रणनीति दिख रही थी। भाजपा ने वर्ष 2014 से अब तक पिछड़ा वोट बैंक को अपने पाले में रखने में कामयाबी हासिल की। गैर यादव ओबीसी समाज का बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी टीम के जरिए सपा की कोशिश इस वोट बैंक में सेंधमारी की थी। लेकिन, भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है। दारा सिंह चौहान के इस्तीफे को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। वहीं, सपा अध्यक्ष के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है।
भाजपा में जाने की है चर्चा
दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बीच कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है। दावा किया जा रहा है कि दारा सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी में वापसी कर सकते हैं। पार्टी की ओर से उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। वहीं, घोसी विधानसभा सीट के खाली होने के बाद दारा सिंह चौहान के किसी मनपसंद चेहरे को उम्मीदवारी दी जा सकती है। भाजपा इसके जरिए ओबीसी वोट बैंक में जमीन पर अपनी पकड़ बनाने में कामयाब होगी। दावा यह भी किया जा रहा है कि वे इसी सप्ताह में भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."