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November 23, 2024 9:56 am

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‘रंजीत’ से ‘सद्दाम’ बने इस रेडिकल आतंकी ने किया था ऐसा इरादा कि सुनकर पुलिस के भी होश उड़ गए 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

गोंडा: उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वाड एटीएस ने हाल ही में गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकी सद्दाम शेख और रिजवान खान से पूछताछ की, जिसमें दोनों ने बड़े चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। एटीएस को मिली रिमांड के दौरान सद्दाम शेख ने कबूला की वो मूल रूप से हिन्दू है। इसका पुराना नाम रंजीत सिंह है। वहीं, एटीएस की पूछताछ में रिजवान खान ने कबूला की वो वो कश्मीर की आजादी और उसके पाकिस्तान में विलय के लिए अपने पाकिस्तानी आतंकी हैंडलरों के संपर्क में था। पाकिस्तानी हैंडलरों के निर्देश पर रिजवान आतंकी हमले को अंजाम देने की फिराक में भी था।

अल कायदा हिंजबुल मुजाहिदीन और अंसार गजवातुल हिन्द की विचारधारा से जुड़े रेडिकल आतंकी सद्दाम शेख ने पूछताछ में बताया कि वो मूल रूप से हिन्दू है। इसका पुराना हिन्दू नाम रंजीत सिंह है। उसके पिता का नाम भगवान सिंह गोंडा जिले के तरबगंज क्षेत्र के रहने वाले हैं। सद्दाम ने आगे बताया कि साल 1999 में इसके साथ पढ़ने वाले दोस्त आसिफ के पिता के माध्यम से इसने मुस्लिम धर्म अपनाया था। पूछताछ में उसने यह भी खुलासा किया है कि वो सैयदा मरियम सैयदा माहिरा (Syeda Mariyam Syeda Mahira। नाम से फेसबुक पेज चलाता था और जेहादी सामग्री पोस्ट करता था। ऐसा करके वो आतंकियों के संपर्क में आने का प्रयास करता रहता था।

सद्दाम ने बताया कि वो खुद को मुजाहिदीन और जेहादी बताता था। जिसके चलते पाकिस्तानी आतंकियों के द्वारा उससे संपर्क भी किया गया था। उसने मुस्लिम महिला से विवाह किया था, लेकिन उसकी अनुपस्थिति में उस महिला के किसी और से रिश्ते होने के कारण उसे मारने के लिए उसने असलहा खरीदने का प्रयास किया था, लेकिन वो प्रयास सफल नहीं रहा था। उसने बताया कि वो आईएमओ, एफबी, यूट्यूब के माध्यम से रेडिक्लाइज्ड हुआ। उसने आईएमओ आईडी बनाई थी, जिसका नाम हिजबुल मुजाहिदीन सद्दाम रखा था। सद्दाम ने बताया कि उसने सिराजुद्दीन हक्कानी और बाबरी मस्जिद तोड़ने के वीडियो भी पोस्ट किए थे। इसके साथ ही ओसामा बिन लादेन की फोटो, आतंकी ट्रेनिंग के वीडियो डाउनलोड कर भी पोस्ट किए थे। वहीं, लारी का इस्तेमाल लोन वुल्फ़ अटैक में करने की मंशा थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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