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19 January 2025 10:21 am

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यहां की क्राइम कुंडली हैरान करती है जहां बिना काम किए मालामाल हो रहे हैं मजदूर 

36 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

गूगल पर अगर आप देखेंगे तो दिल्ली-गुरुग्राम के बाद सोहना दिखाई देगा और उससे थोड़ा आगे जाने पर एक छोटा सा इलाका नूंह दिखाई देता है। यह एक जिला है, जिसे मेवात भी कहा जाता था। एक समय यहां के युवाओं के लिए एनर्जी ड्रिंक पीना स्टेटस सिंबल हुआ करता था। इसे एक तरह का जलवा या कहें भौकाल माना जाता था, लेकिन कोरोना काल में अचानक कुछ ऐसा हुआ कि चमचमाती एसी कारें घूमने लगीं। काले और गंदे दिखने वाले युवाओं के बाल अब महंगे सैलून में कटते हैं। स्टाइल बता देती है कि ये गुरुग्राम या दिल्ली के महंगे पार्लर में सेट हुए होंगे। नकल भी बॉलीवुड ऐक्टर्स की होती है। अरावली की पहाड़ियों में खनन का काम करने वाले युवाओं की अचानक तरक्की हुई तो लोगों का हैरान होना लाजिमी था। इस इलाके में न तो रोजगार है और न ही कोई धंधा। आखिर तरक्की हुई तो हुई कैसे? आगे बढ़ने से पहले इस इलाके का इतिहास-भूगोल समझ लेते हैं। हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर के पास यह देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। इस जिले में काफी ज्यादा बेरोजगारी है, दो तिहाई लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करते हैं। पानी का अलग संकट है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना काल में यहां के युवाओं को कौन सा खजाना हाथ लग गया?

40 गांव सिरदर्द बन चुके

नूंह, अलवर और भरतपुर जिलों के लुहिंगा कला, लुहिंगा खुर्द और महूं जैसे करीब 40 गांव हैं, जहां की खबरें दिल्ली तक लगातार पहुंच रही हैं। जी हां, सैकड़ों की संख्या में यहां से फर्जीवाड़े की कॉल की गई हैं। पुलिस ने पता लगाया है कि वर्चुअल तरीके से करीब-करीब भारत के हर राज्य में यहां से फोन गया है। आज के समय में यह देश में साइबर फ्रॉड का सबसे बड़ा हब बन चुका है।

नए जामताड़ा के ‘खिलाड़ी’

अब जरा और पीछे चलते हैं। कुछ साल पहले अरावली में खनन पर रोक लगी तो युवाओं का रोजगार छिन गया। ये लोग झारखंड की खदानों की तरफ चले गए। वहां जामताड़ा का गैंग आकार ले चुका था। ये लोग भी साइबर ठगों से सीखकर ‘खिलाड़ी’ बन गए। ठगी के उस्ताद बनकर ये वापस नूंह आ गए और यहां के पहाड़ी इलाकों में ‘ऑनलाइन डकैती’ में कूद गए। झारखंड का जामताड़ा इलाका तो आपने सुना ही होगा। उस पर फिल्म भी बन चुकी है लेकिन यह ‘नया जामताड़ा’ वहां से 1200 किमी दूर दिल्ली के करीब है।

कोरोना में कमाई का कीर्तिमान

बताते हैं कि नूंह में साइबर क्राइम का पहला मामला 2019 में आया था। एक किसान से ठगी हुई थी लेकिन मामला निपटा लिया गया। कोरोना काल में जब लोग इंटरनेट पर ज्यादा निर्भर हुए तो नूंह के इन ‘डकैतों’ की चांदी हो गई। आज यहां के युवा बॉलीवुड स्टार और भारतीय क्रिकेटरों की तरह बाल और दाढ़ी रखते हैं। आउटर रोड पर कई बहुमंजिला इमारतें बनने लगी हैं। यह देखने में कोठी जैसी लगती है। एक नहीं, कई गांवों में ऐसा सीन देखने को मिलता है।

300 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी

इसी साल 27 अप्रैल को हरियाणा पुलिस ने साइबर क्राइम के खिलाफ अपने सबसे बड़े फील्ड ऑपरेशन के तहत 300 जगहों पर छापेमारी की थी। 65 लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। मई में पुलिस ने 28,000 शिकायतों और 1346 एफआईआर का इनसे कनेक्शन निकाला, जो लक्षद्वीप को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दर्ज की गई थीं।

एनर्जी ड्रिंक कनेक्शन क्या है

नूंह एसपी वरुण सिंगला ने TOI को बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि वे लगातार जगते रहने के लिए एनर्जी ड्रिंक्स धड़ाधड़ पीते हैं। इस काली कमाई के पैसे से इन लोगों ने बड़े घर बनाए, महंगी बाइक और जमीनें खरीदीं। महूं में एक किराने की दुकान वाले ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की टीम को बताया कि क्षेत्र में एनर्जी ड्रिंक्स की काफी डिमांड है। सिंगला ने बताया कि पुलिस की रेड के बाद कई केटीएम बाइक रीसेल हुई हैं। गुरुग्राम के एक KTM शोरूम के मैनेजर ने बताया कि औसतन हर महीने नूंह के ग्राहक 3-4 बाइक खरीदते हैं।

इतने पैसा को खपाते कैसे हैं

एक्सपर्ट का कहना है कि इतना बड़ा साइबर क्रिमिनल का धंधा बिना लोकल सपोर्ट के संभव नहीं है। वैसे भी वहां रोजगार की संभावनाएं बेहद कम हैं। दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि ये लोग हवाला चैनलों के जरिए पैसा बाहर भेज देते हैं। कुछ रिएल एस्टेट, सोना और क्रिप्टोकरंसी में लगा देते हैं। लेनदेन से बचने के लिए ही ये घर बनाने, कार-बाइक या सोना खरीदने में खर्च कर देते हैं। दिलचस्प ये है कि नए बनने वाले घरों में चारों तरफ सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं। हर एक नए शख्स पर नजर रखी जाती है। जब TOI के रिपोर्टर गुरुग्राम नंबर की कार से पहुंचे थे तो तीन युवाओं ने उन्हें रोका और पूछा था कि कहां जा रहे हो?

स्थानीय लोगों का कहना है कि युवा हर गाड़ी पर नजर रखते हैं। यहां तक कि बाहर से आती कार के पीछे दो नौजवान लग जाते हैं। ज्यादातर लोग बाहरी लोगों से बात नहीं करते। ये है नए जामताड़ा की कहानी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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