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November 2, 2024 3:02 am

गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठा  इलाका, तड़फड़ाती लाशें विचलित कर रही थी….

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर। बिकरू कांड की तीसरी वर्षीय मनाई जा रही है। बिकरू कांड की यादें आज भी लोगों जहन में ताजा हैं। बीते 2 जुलाई 2020 की रात गोलियों की तड़तड़ाहट से बिकरू गांव गूंज उठा था। खुंखार अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस दबिश देने गई थी। पुलिस का जेसीबी से रास्ता रोका गया था, विकास दुबे और उसके गुर्गे अत्याधुनिक हथियारों के साथ छतों पर छिपकर पुलिस कर्मियों पर गोलियां बरसा रहे थे। आठ पुलिस कर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। बदमाश पुलिस कर्मियों के शवों को शौचालय में जलाने की फिराक में थे, लेकिन उन्हे इसका मौका नही मिल पाया था। ग्रामीण इस घटना को यादकर आज भी दहल जाते हैं।

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 02 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर में मार गिराया था। बिकरू कांड के बाद पुलिस ने विकास दुबे की कोठी पर बुलडोजर चला कर खंडहर में तब्दील कर दिया था। इसके साथ ही कोठी में खड़ी दो लग्जरी कारों और ट्रैक्टर को बुलडोजर से बर्बाद कर दिया था। इस दौरान पुलिस को कोठी से बड़ी मात्रा में गोला-बारूद और असलहे भी मिले थे। पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया था।

बिकरू कांड में 43 आरोपी जेल में बंद हैं

बिकरू कांड के मुख्य केस में 36 आरोपी बनाए गए थे। जिसमें से सिर्फ खुशी दुबे को ही जमानत मिली है। इसके साथ ही बिकरू कांड से जुडे़ अन्य मुकदमों में 11 आरोपियों में से सिर्फ तीन को जमानत मिली है। पूरे केस में अभी भी 43 आरोप जेल में बंद हैं। बिकरू कांड के ठीक बाद विकास दुबे का खजांची जय वाजपेई पुलिस के हत्थे चढ़ा था। जय वाजपेई विकास दुबे की ब्लैकमनी को व्हाईट करने का काम करता था। जय वाजपेई ने विकास और उसके गुर्गों को फरार कराने के लिए तीन लग्जरी गाड़ियों की व्यवस्था की थी। इसके साथ ही उसने कैश और जिदां कारतूस भी मुहैया कराए थे। जिसका इस्तेमाल बिकरू कांड में किया गया था।

पुलिस विभाग के विभीषणों ने की थी मुखबिरी

बिकरू कांड के बाद खुलासा हुआ था कि दबिश की सूचना विकास दुबे को चौबेपुर थाने से दी गई थी। जिसमें तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी और हल्का चौकी इंचार्ज का नाम सामने आया था। दोनों ही पुलिस कर्मी कानपुर देहात की माती जेल में बंद हैं। इस दौरान बिकरू कांड में पुलिस विभाग ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को आरोपी बनाकर की थी। इस मामले में पुलिस आज भी बैकफुट पर है। खुशी दुबे तीन दिन पहले ही अमर दुबे से शादी हुई थी।

प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था

बिकरू कांड की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए थे। विकास दुबे की पैठ पुलिस विभाग के साथ ही प्रशानिक अधिकारियों के बीच में भी थी। बिल्हौर तहसील के तहसीलदार से लेकर कई प्रशानिक अधिकारी उसके संपर्क में रहते थे। इसके साथ ही पुलिस विभाग में आईपीएस से लेकर सीओ, इंस्पेक्टर और दारोगाओं से भी संपर्क था। एसआईटी ने कार्रवाई की संस्तुति की थी।

बिकरू गांव में हुआ लोकतंत्र का सबेरा

बिकरू कांड के बाद लोकतंत्र का सबेरा हुआ था। बिकरू समेत आसपास के दर्जनों गांव में विकास दुबे की पसंद के प्रधान चुने जाते थे। ढाई दशक तक विकास दुबे के पंसद के प्रधान चुने जाते रहे। विकास दुबे जिसे कह देता था, ग्रामीण उसे ही वोट करते थे। लेकिन बीते पंचायत चुनाव में बिकरू गांव में लोकतंत्र का उदय हुआ था। ढाई दशक बाद पंचायत चुनाव में गांव में पोस्टर और बैनर देखने को मिले थे। लोगों ने खुलकर प्रचार प्रसार किया था। बिकरू गांव से मधु देवी ग्राम प्रधान चुनी गईं। बिकरू गांव की कमान एक महिला ग्राम प्रधान के हाथों में आ गई। दशकों बाद ग्रामीणों ने अपनी पसंद का प्रधान चुना था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."