ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
मथुरा। वृंदावन मंदिरों की भूमि है और माना जाता है की वृंदावन में सभी 33 कोटि देवी देवताओं का वास है और वृंदावन में सभी त्योहार मनाए जाते है। उसी परंपरा के चलते 20 जून को वृंदावन में जगन्नाथ पुरी के तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़ी धूमधाम से निकली गई।
वृंदावन के श्री जगन्नाथ मंदिर में करीब 16 दिन बाद भगवान जगन्नाथ ने स्वस्थ को कर अपने भक्तों को दर्शन दिए। परिक्रमा रोड ज्ञानगुदड़ी पर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी पिछले 16 दिनों से स्नान यात्रा के बाद भगवान की तबियत खराब हो गई थी। जिसके बाद से श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन बंद चल रहे है थे।
मंदिर सेवायत नीलमाधाव ने बताया की भगवान का कई प्रकार की औषधियों की सहायता से इलाज चल रहा था और सुखा भोग लगाया जा रहा था। आज 16 दिन बाद भगवान जगन्नाथ दुबारा स्वस्थ हो गए है। जिसके बाद 20 जून को भगवान ने दुबारा अपने भक्तों को दर्शन देने लगे है। साथ ही आज भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा जी अपने 500 साल पुराने और 15 फीट ऊंचे रथों पर बैठ कर वृंदावन के भ्रमण के लिए निकलते है। साथ ही इस रथ यात्रा में वृंदावन के सभी ब्रजवासी और श्रद्धालु समेत वृंदावन के सभी मन्दिर में शामिल हुए है।
500 साल पुरानी है परंपरा
उन्होंने आगे बताया कि इस मंदिर में यह परंपरा करीब 500 साल से भी अधिक समय से चल रही है और इसका जिक्र कई पुराणों में भी मिलता है। इस दिन भगवान का अभिषेक कर उन्हे गाय की दर्शन कराए जाते है और साथ ही उन्हें छप्पन भोग लगाया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलों की सहायता से सजाया भी जाता है। मान्यता है की यह स्थापित श्री जगन्नाथ जी के विग्रह में श्री कृष्ण के अवतार चैतन्य महाप्रभु का अंश है और उन्हीं के द्वारा इस मंदिर के विग्रह की स्थापना की गई थी और यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."