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November 23, 2024 1:17 am

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देश के बड़े रेल हादसों में दर्ज इस रेल हादसे पर भी रोया था देश ; 152 लोगों ने तड़प तड़प कर दी जान

17 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर देहात: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे (Odisha Train Accident) में 288 लोगों की मौत की खबर से हर तरफ शोक की लहर है। इस हादसे के दर्द को कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के वाशिंदे बहुत अच्छे से महसूस कर रहे हैं। इसकी वजह है कि वर्ष 2016 में पुखरायां में इंदौर-राजेंद्र नगर (पटना) एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी, इस हादसे में 152 लोगों की मौत हुई थी। ओडिशा की घटना के बाद जिले के लोग उस हादसे की कल्पना कर चर्चा कर रहे हैं, जो हृदयविदारक मंजर लोगों ने यहां आज के 7 साल पहले देखा था। हर तरफ शव दिख रहे थे और चीख सुनाई पड़ रही थीं। आज भी लोग वो मंजर याद कर लोग सहम जाते हैं।

20 नवंबर 2016 दिन रविवार रात करीब तीन बजे इंदौर से राजेंद्र नगर (पटना) जा रही एक्सप्रेस ट्रेन तेज धमाके के साथ डिरेल हो गई थी। आसपास के ग्रामीण पहले तो काफी देर तक समझ ही नहीं पाए कि हुआ क्या। फिर बाहर निकल कर लोगों ने देखा तो कानपुर-झांसी रेलवे लाइन की तरफ से बचाओ-बचाओ की आवाजें आ रही थीं, जो जिस हाल में था वो रेलवे पटरी की तरफ भागा। सूचना अफसरों को हुई तो जिले के डीएम, एसपी पूरे लाव लश्कर के साथ मौके पर पहुंचे। फिर राहत और बचाव का कार्य शुरु हुआ। ग्रामीणों ने ट्रेन की बोगियों में फंसे लोगों को बाहर निकालने की हर संभव कोशिश करते हुए प्रशासन की मदद की।

घटनास्थल से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक शव

पुखरायां में रेल हादसे के बाद सूरज की पहली किरण निकली तो घटनास्थल पर लोगों को वहां शव ही नजर आ रहे थे। हर तरफ चित्कारें सुनाई दे रही थीं। राहत और बचाव कार्य में लगे लोगों को प्राथमिकता थी कि घायलों को पहले निकाल कर अस्पताल पहुंचाया जाए। इसके लिए 50 से अधिक एंबुलेंस लगाई थीं। आसपास के जनपदों से भी एंबुलेंस बुला ली गई थीं। एनडीआरएफ की टीम एक के बाद एक शव निकाल कर घटना स्थल के पास लाइन से रखती जा रही थी। इन शवों को पोस्टमॉर्टम भेजने के लिए लगातार वाहन लगे थे। घटनास्थल से लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस तक शव ही नजर आ रहे थे। प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती थी कि शवों की शिनाख्त कैसे की जाए।

जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे वो मंजर

पुखरायां में घटनास्थल पर जिले के कई गांव और कस्बों से लोग वहां एकत्र हो गए थे। हर कोई वहां मदद करना चाह रहा था। ओडिशा की घटना के बाद लोगों के जहन में पुखरायां हादसे की तस्वीरें तैरने लगी हैं। खासतौर पर सुबह की पहली किरण के साथ हादसे का मंजर देखने वाले पुखरायां के लोग ओडिशा की घटना को लेकर बहुत दुखी हैं। कानपुर देहात के लोगों ने वह तबाही और भीषण मंजर आंखों से देखा है, जिसे शायद ही वह अपनी जिंदगी में भूल पाएंगे।

मरने वालों में 46 महिलाएं और चार बच्चे भी शामिल थे

पुखरायां हादसे में कुल 152 लोगों की मौत हुई थी। इसमें 46 महिलाएं व चार बच्चे भी शामिल थे। कई दिनों तक शवों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी।

भयाहवता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सामान और शवों का कोई वारिस नहीं मिल रहा था। आखिर में जिला प्रशासन ने कई कोल्ड स्टोरेज खाली कराकर वहां शव रखवाए। हादसे के 15 दिन बाद तक देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आकर शवों की शिनाख्त करते रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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