रवीश कुमार
गोदी मीडिया 9 साल में इस लायक भी नहीं हो सका कि किसी धार्मिक आयोजन के मौके पर धर्म और उसकी परंपराओं की व्याख्या कर सके ।9 साल में इस लायक ही नहीं रहा कि वह संसदीय परंपराओं से दर्शकों को बता सके। वह केवल धर्म का सहारा लेकर संसदीय मामलों में फेल एक नेता को महान बताता है और संसदीय गतिविधि का सहारा लेकर धर्म धर्म करता है। आप ही बताइये संसद का उद्घाटन हो रहा था, एक चैनल के स्क्रीन पर लिखा था- एक अकेला सब पर भारी। यह पत्रकार की भाषा हो सकती है और इस भाषा का संसद के उदघाटन से क्या संबंध है? लंठों और लोफरों का मीडिया हो गया है गोदी मीडिया। एक पत्रकार खड़ा होकर कह रहा था कि पुरानी संसद गुलामी का प्रतीक है। जबकि उसके नेता के ट्वीटर हैंडल पर पुरानी संसद की तस्वीर है। जिसकी चौखट पर उन्होंने माथा टेका था।
टीवी देखते समय ज़िम्मेदारी से देखा कीजिए और गोदी मीडिया से सावधान रहा कीजिए। (साभार)
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."