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November 1, 2024 7:58 pm

योगी आदित्यनाथ अपनी यात्रा पर दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं, पढ़िए इस खबर को

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

लोकतंत्र में हर चुनाव का महत्त्व होता है और यह अवसर जनता को अपनी आवाज़ सुनाने और नेताओं को अपने विचारों का प्रतिनिधित्व करने का होता है। कर्नाटक विधानसभा और उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनावों के परिणाम आपके द्वारा उठाए गए अंकों के आधार पर आम नागरिकों की जनमत को प्रभावित कर सकते हैं।

यूपी में नगर निकाय चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत ने दिखाया है कि योगी आदित्यनाथ की प्रशासनिक नीतियाँ, विकास कार्यक्रम और सुशासन के संकेत जनता के बीच प्रभावी रहे हैं। इस जीत के साथ, योगी आदित्यनाथ का “यूपी मॉडल” प्रदेश के विकास और सुशासन की जन-आकांक्षाओं को पूरा करने में सफल हो रहा है। इस बड़ी जीत के साथ, यूपी में ट्रिपल इंजन सरकार की प्रभावित गूंज 2024 के लोक सभा चुनाव में भी सुनाई देगी, इसके प्रभाव से चुनावी मार्गदर्शन और राजनीतिक दिशा निर्धारण में योगी आदित्यनाथ की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

यह सत्य है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने नगर निगमों के चुनावों में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है और इसे क्लीन स्वीप कहा जाता है। यह बड़ी उपलब्धि है जो दर्शाती है कि बीजेपी की प्रभुत्वकारी राजनीतिक ताकत उत्तर प्रदेश के नगर निगमों में बड़ी पैमाने पर मजबूत हुई है।

200 नगर पालिकाओं की मौजूदगी में, बीजेपी ने पहले से ही विपक्षी दलों के साथ प्रतिस्पर्धा की है, लेकिन इस बार उसे अपनी सीटों की संख्या में दोगुने वृद्धि देखने को मिली है। इसके अलावा, नगर पंचायतों में भी बीजेपी को अभूतपूर्व सफलता मिली है। यह चुनाव पहला है जहां बीजेपी पूरी तरह से अकेले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ी और जीती है। राज्य में 200 नगर पालिकाएं हैं। 1999 में चुनाव हुए। 2017 में बीजेपी 60 नगर पालिकाओं में जीती थी लेकिन इस बार उसे दोगुने से ज्यादा सीटें मिली हैं। नगर पंचायतों में भी अभूतपूर्व सफलता मिली है। गहराई से आकलन करें तो यह पहला चुनाव था जो पूरी तरह से अकेले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी लड़ी और जीती।

यह चुनावी प्रदर्शन उत्तर प्रदेश की राजनीतिक मानसिकता में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है और योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता और बीजेपी की विकास प्रणाली को प्रशंसा करता है।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में एक बड़े चुनावी जीत की है। इस बार नगर निगमों के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है। इससे पहले भी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में कई चुनाव जीते हैं और योगी आदित्यनाथ के ‘यूपी मॉडल’ का नाम बना रहा है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनावों में बीजेपी ने अच्छी जीत हासिल की थी। इससे यह साबित होता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी एक मजबूत और लोकप्रिय पार्टी है।

योगी आदित्यनाथ ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और दोबारा यूपी की सत्ता हासिल की है। इस जीत के साथ, उनकी छवि और नेतृत्व कौशल ने मजबूती से प्रगट हुई है। पहले से ही चुनावी पंडितों के माध्यम से यह प्रश्न उठ रहा था कि क्या योगी आदित्यनाथ अकेले ही चुनाव जीत सकते हैं, और उन्होंने इसे प्रमाणित कर दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान, बीजेपी की केंद्रीय टीम ने कर्नाटक में भी अपनी ताकत दिखाई थी, जिसके कारण सीएम योगी को निकाय चुनाव में अकेले ही जीत हासिल करनी पड़ी। निकाय चुनाव में उनकी जीत ने मुख्यमंत्री के लिए महत्वपूर्ण अहमियत रखी है, जिसे उनकी चुनावी रैलियों से साबित किया जा सकता है।

चुनावी अभियान के दौरान, योगी आदित्यनाथ ने कई जनसभाओं और रैलियों में भाग लिया, जहां उन्होंने यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट, नए मेडिकल कॉलेज, हाईवे और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तथा राज्य में चौतरफा विकास पर अपनी बात रखी लेकिन सबसे ज्यादा जोर अपराधियों और माफिया के खिलाफ कार्रवाई पर दिया।

योगी आदित्यनाथ के प्रचार अभियान में “माफिया को मिट्टी में मिला देंगे” जैसे बयान बहुत प्रमुख थे और इसने प्रचार में व्यापक प्रभाव दिखाया। उनकी रैलियों में “नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी में सब चंगा” और “रंगदारी न फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती” जैसे लोकप्रिय नारे भी उठाए गए।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उमेश पाल हत्याकांड के बाद बदमाशों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की, जिसमें बदमाशों को एनकाउंटर कर दिया गया और अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस कस्टडी में हत्या के मामले में भी कार्रवाई की गई। बीजेपी के प्रचार अभियान ने इन घटनाओं को योगी सरकार के शासनकाल में होने वाला संभव बताया। यह दिखाने का मतलब था कि योगी सरकार न सिर्फ चौतरफा विकास पर ध्यान देने के बल्कि कानून का प्रभावी नियंत्रण भी सुनिश्चित कर रही है। इससे सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं और राज्य में निवेश की गति भी बढ़ी है।

बात सही है कि उत्तर प्रदेश में बदलाव का दौर चल रहा है और इसे बीजेपी को भी महसूस हो रहा है। योगी आदित्यनाथ भी इसको समझते हैं कि जनता विकास, प्रगति, और कानून का पालन चाहती है, वह जातिगत विवादों में फंसना नहीं चाहती है। जनता माफिया और गुंडों के आतंक से मुक्ति पाना चाहती है। इसलिए, यद्यपि राजनीतिक दल बुलडोजर कार्रवाई को निंदा कर सकते हैं और उसे विवादास्पद बाबा कहकर दुनिया में बदनाम कर सकते हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ अपनी यात्रा पर दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं। वे अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं और उत्तर प्रदेश के विकास के मार्ग पर अडिगता से चल रहे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."