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19 January 2025 5:45 am

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जेल में मुख्तार की बादशाहत की सबूत थी ‘मुख्तार की रोहू’, वाकये ऐसे हैं जो आपको हिला कर रख दे..

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

मुख्तार अंसारी के जेल में सुख-सुविधाओं के साथ जीवन के बारे में कई किस्से मशहूर हैं, जो कई सामाजिक वादों और चर्चाओं का कारण बने हैं। हालांकि, जेल में किसी कैदी के लिए सुख-सुविधा की पहुंच का मामला संघर्षपूर्ण और विवादास्पद हो सकता है, और इसका व्याख्यान विभिन्न दृष्टिकोण से किया जा सकता है।

किसी भी कैदी की सुख-सुविधाओं की व्यवस्था और उनके आपसी भागीदारी प्रशासनिक नियमों, कानूनी मामलों, और जेल प्रशासन के निर्देशों पर निर्भर करती है। किसी कैदी के लिए खाना तैयार करने और उसे खिलाने की प्रक्रिया भी जेल प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होती है।

एक प्रतिष्ठित हिंदी अखबार के क्राइम बीट पर करीब 15 साल काम कर चुके क्राइम रिपोर्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर एनबीटी ऑनलाइन को मुख़्तार से जुड़े कारनामों को साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें याद है कि गाजीपुर जिला कारागार के बाउंड्री से लगा हुआ एक पोखरा है। उस पोखरे में बाहर से मछलियां लाकर छोड़ी गई थीं।

मुख्तार की पसंदीदा थी रोहू मछली

मछलियों को छोड़ने का पहले उद्देश्य यह था कि मुख्तार को खाने में रोहू मछली बेहद पसंद थी। ऐसे में जब मुख्तार को मछली खाने का मन होगा तो पोखरे में जाल फेंक कर मछलियां निकाली जाएंगी और उसके स्वाद अनुसार बनाई जाएंगी। बाद में मुख्तार अंसारी उस पोखरे में ज्यादा मात्रा में मछलियां डलवाने लगा।

जेल ही चलता था व्यापार

अब महज मामला उसके स्वाद और खाने तक सीमित नहीं था, बल्कि मुख्तार ने इस पोखरे में पाली मछलियों से एक बिजनेस प्रपोजिशन (व्यावसायिक समीकरण) विकसित कर लिया। इस पोखरे से निकाली गई मछलियां स्थानीय बाजार के साथ आसपास के जिलों के बाजार में भी भेजी जाती थी। क्योंकि पोखरे का क्षेत्रफल ठीक-ठाक था। ऐसे में मछलियों की ग्रोथ अच्छे प्रकार से हो जाती थी।

पूर्वांचल के बाजारों में बेची जाती थी मछली

पत्रकार बताते हैं कि मछली बाजार में हाल के सालों तक मुख्तार का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष हस्तक्षेप था। आंध्र से प्रतिबंधित नस्ल की मछली लगाकर पूर्वांचल के बाजारों में बेची जाती थीं। यह सब कारोबार बहुत हद तक मुख्तार के सरपरस्ती में संचालित होता था।

‘मुख्तार वाली रोहू’ या ‘मुख्तार रोहू’

मुख्तार के जेल परिसर के समीप पोखरे से निकाली गई रोहू मछली की बाजार में एक खास कोडिंग भी प्रचलित हो गई थी। यह मछलियां ,’मुख्तार वाली रोहू’ या ‘मुख्तार रोहू’ के नाम से बाजार में जानी, पहचानी जाती थी।

जेल का वो बैरक नंबर 10

बताया यह भी जाता है कि मुख्तार ने जिला जेल के बैरक नंबर 10 को अपना आरामगाह बना रखा था। कालांतर में गाजीपुर जेल का 10 नंबर बैरक ही गाजीपुर जेल में मुख्तार का स्थायी ठिकाना होता था। बताते चलें कि इस सगम अप्रैल महीने में एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद फिलहाल मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और गाजीपुर के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी इसी 10 नंबर बैरक में बंद है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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