दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
निर्भय गुर्जर की गिनती बीहड़ के दुर्दांत डाकुओं के साथ अव्वल दर्जे के रंगीन मिजाज इंसान के रूप में होती है। उसके गिरोह के जिंदा सदस्यों का कहना है कि वो जिस गांव में दाखिल होता, रंगरेलियां मनाकर ही वापस लौटता था। बीहड़ में उसके साथ तीन महिलाएं नीलम गुप्ता, सरला जाटव और मुन्नी पांडेय रहती थीं। तीनों का उसने अपहरण कर अपने हरम में शामिल किया था। निर्भय का उसके बेटे की पत्नी के साथ भी अफेयर था। बाद में उसकी एक पत्नी भी उसके बेटे से प्यार करने लगी थी। जब दोनों एक साथ भाग गए तो निर्भय इस धोखे से उबर नहीं पाया। यहीं से उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।
जींस-टॉप पहनकर रहती थीं उसकी गर्लफ्रेंड्स
निर्भय अपने गिरोह के साथ तीन-तीन गर्लफ्रेंड को साथ लेकर चलता था। वह उन्हें सलवार-सूट नहीं पहनने देता था। इसके बदले वह उन्हें हर समय जींस-टॉप पहनने के लिए मजबूर करता था। उसने अपने दत्तक पुत्र श्याम जाटव की शादी सरला जाटव से कराई थी, लेकिन खुद श्याम ने उसे निर्भय के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। इसके बाद श्याम ने गिरोह से बगावत कर दी थी। वह निर्भय की प्रेमिका नीलम के साथ भाग गया और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।
चंबल की बीहड़ में एक से बढ़कर एक खतरनाक डाकू हुए, जिनमें से एक नाम था निर्भय सिंह गुज्जर (Nirbhay Singh Gujjar)। सालों तक इस नाम की गूंज चंबल के बीहडो़ं में गूंजती रही। आसापास के गांव के लोगों के लिए निर्भय किसी राक्षस से कम नहीं था। ऐसा राक्षस जिसकी नजर उनकी बहू-बेटियों पर होती थी। जो लड़कियों को सिर्फ अय्याशी का सामान समझता था। जिस लड़की पर इसकी नजर पड़ती ये उसका रेप कर डालता या फिर उसे किडनैप करके अपने साथ ले जाता। उसके जिस्म से खेलता, उसका शारीरिक शोषण करता।
चंबल के डाकू निर्भय गुज्जर की कहानी
निर्भय सिंह गुज्जर उत्तर प्रदेश के औरैया का रहने वाल था। पिता गरीब थे, पांच बच्चों का गुजारा नहीं कर पाते थे तो अपने ससुराल की शरण ली। निर्भय के मामा ने कुछ जमीन इसके पिता को दे दी। वही इनका परिवार रहने लगा, लेकिन गांववाले निर्भय के पिता और उसके मामा को परेशान करते, उन्हें ससुराल में रहने के ताने देते। निर्भय के दिमाग में ये बात बैठ चकी थी। वो गांववालों से बदला लेना चाहता था। बस यही से शुरूआत हुई इसकी दरिंदगी की।
गांव की लड़कियों से करता था रेप
उस वक्त चंबल में डाकू लालाराम का आतंक था। तब निर्भय की उम्र करीब पच्चीस साल थी। निर्भय ने लालाराम के गैंग से जुड़ने का फैसला किया और चंबल पहुंच गया। कुछ सालों तक उसने लालाराम गैंग के लिए काम किया। उसने अपने मामा के गांव में लोगों की जिंदगी दूभर कर दी। लूट-पाट, किडनैपिंग, हत्या, हर काम में निर्भय आगे था। इसी गैंग में लालाराम ने निर्भय की शादी गैंग की ही दूसरी सदस्य सीमा परिहार (Seema Parihar) से करवाई। थोड़े समय बाद लालाराम की मौत के बाद सीमा परिहार इस गैंग की सरगना बन चुकी थी। सीमा को अपने पति निर्भय की काली करतूतों को पता चला। सीमा को पता चला कि निर्भय जिस गांव में डकैती के लिए जाता है, वहां की लड़कियों से रेप करता है। इसके बाद सीमा ने निर्भय को अपने गैंग से हटा दिया।
इसके गैंग में शामिल थे 70 से ज्यादा डाकू
इस गैंग से अलग होने के बाद तो निर्भय का आतंक और बढ़ गया। अब इस डकैत ने अपना एक अलग गैंग तैयार कर लिया था। इस गैंग के पास तमाम बड़े हथियार थे। इसने पैसा लेकर अमीर लोगों के अपरहण का काम शुरू किया। इससे इसके कॉन्टेक्ट भी बढ़ने लगे। चंबल में इसका गैंग सबसे ताकतवर माना जाता था। निर्भय के गैंग में 70 से ज्यादा डाकू थे। पुलिस भी इस गैंग पर कार्रवाई करने से डरती थी, वजह थी गैंग के पास आधुनिक हथियारों का होना। एके 47, एके 56 जैसी बंदूके इसके डाकुओं के पास होती थीं।
लड़कियों का नशा करता था चंबल का ये डकैत
एक तरह एक तरफ निर्भय की ताकत बढ़ रही थी तो दूसरी तरफ इसकी दरिंदगी। ये गांवों से लड़कियों को किडनैप करने लगा। नीलम और सरला नाम की लड़कियों को इसने गांव से उठा लिया और अपने साथ अय्याशी के लिए जंगल में ले आया था। सीमा परिहार के बाद इसने नीलम यादव से भी शादी कर ली। सरला के साथ भी इसके संबंध थे। निर्भय ने कुछ सालों पहले एक लड़के श्याम को गोद लिया था। वो लड़का भी अब डाकू बन चुका था। निर्भय ने श्याम की शादी सरला से करवा दी थी, लेकिन श्याम की नजर निर्भय की बीवी नीलम पर थी। नीलम और श्याम एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।
बेटा बना निर्भय गुज्जर के मौत की वजह
इन दोनों ने निर्भय के जाल से फरार होने की योजना बनाई और पुलिस के पास पहुंच गए। पत्नी के फरार होेने के बाद निर्भय ने सरला से शादी कर ली। वही दूसरी तरफ श्याम और नीलम ने निर्भय के सारे राज पुलिस को बता दिए। निर्भय गुर्जर का आतंक काफी ज्यादा था, लेकिन उसके ऊंचे कनेक्शन और पावरफुल हथियार होने की वजह से कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रही थी। यहां तक की निर्भय गुज्जर पर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस ने ढाई-ढाई लाख का ईनाम भी घोषित किया था, लेकिन श्याम और नीलम के सरकारी गवाह बनने के बाद निर्भय के कई राज पुलिस को पता चल चुके थे। आखिरकार यूपी और एमपी एसटीएफ के ज्वाइंट एनकाउंटर में साल 2005 में इस खूंखार डकैत को मार गिराया गया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."