आनंद शर्मा की रिपोर्ट
भरतपुर: सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पृथक 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर माली समुदाय आंदोलन की राह पर है। समाज के लोगों ने जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को बुधवार को लगातार छठे दिन अवरुद्ध रखा। राजस्थान सरकार की ओर से उनकी मांगों पर गौर करने पर सहमत होने के बावजूद आंदोलनकारियों ने राजमार्ग से हटने से इनकार कर दिया है।
सरकार से नहीं बन पाई बात
माली समाज के नेता मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 25 अप्रैल को यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत को सकारात्मक बताया लेकिन आंदोलनकारी राजमार्ग से अभी नहीं हटे हैं। सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने समाज के उस व्यक्ति का पोस्टमार्टम भी अभी नहीं करने दिया है, जिसने आरक्षण के मुद्दे को लेकर सोमवार को धरना स्थल के निकट एक पेड़ से लटककर कथित तौर पर फांसी लगा ली थी।
समाज के लोग कर रहे हैं आपसी चर्चा
पुलिस ने बताया कि इस युवक के परिवार के सदस्यों ने शव लेने से इनकार कर दिया है । वे मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक सैनी ने कल कहा था कि राज्य सरकार ‘हमारी मांगों पर गौर करने पर सहमत’ हो गई है।
उन्होंने हालांकि कहा था कि धरना स्थल पर समुदाय के लोगों की ओर से आंदोलन समाप्त करने का निर्णय अभी तक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा था कि आंदोलन समाप्त करने के लिए समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत की जा रही है।
एक किलोमीटर तक जाम NH-21
नदबई के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) नीतिराज सिंह ने कहा, ‘आंदोलन अब भी जारी है। उनके मुद्दों पर बातचीत की जा रही है। परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों ने शव लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की है।’ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आने वाले माली समुदाय के सदस्य अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण, एक अलग ‘लव-कुश कल्याण बोर्ड’ के गठन और समुदाय के बच्चों के लिए छात्रावास की सुविधा की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत भी माली समुदाय से हैं। तंबुओं में डेरा डाले प्रदर्शनकारियों ने अरौदा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-21 के निकट एक किलोमीटर तक सड़क को अवरुद्ध कर दिया है।
Author: samachar
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