कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ: गौतमबुद्ध नगर के चिटहेरा गांव में गरीब किसानों की जमीन हड़पने के लिए भूमाफिया यशपाल तोमर (Mafia Yashpal Tomar) और अधिकारियों ने जमकर खेल किए। यशपाल ने गाजियाबाद के रहने वाले पंजाब कैडर के एक आईपीएस अफसर से मिलीभगत कर उनकी राजपुरा और जीआरपी में तैनाती के दौरान चिटहेरा के किसानों के खिलाफ पंजाब में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए। फिर कुछ साल बाद इस अफसर के बेटे के नाम चिटहेरा में एक बड़ी रजिस्ट्री हो जाती है। रजिस्ट्री की खास बात यह है कि इसमें यशपाल का नौकर मालू ही गवाह है।
हालांकि, नोएडा पुलिस ने पंजाब पुलिस के इस अफसर को जांच से अलग रखा। वहीं घोटाले की एफआईआर दर्ज करवाने वाले राजस्व निरीक्षक पंकज निर्वाल की तहरीर में लिखा है कि यशपाल ने चिटहेरा में पट्टों की जमीन किसानों से जबरदस्ती खरीदी। जिन किसानों ने जमीन नहीं दी उन पर दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए।
रेप की एफआईआर दर्ज करवाई
यशपाल ने एक महिला के जरिए किसानों के खिलाफ 2017 में जीआरपी बठिंडा में रेप की एफआईआर दर्ज करवाई थी। बाद में एक मुकदमा यह भी दर्ज करवाया कि आरोपित महिला को धमका रहे हैं। जबकि कुछ समय पहले महिला ने उत्तराखंड पुलिस को दिए बयान में कहा था कि यशपाल ने उस पर दबाव बनाकर झूठा मुकदमा लिखवाया था। जानकारी के मुताबिक पंजाब में मुकदमा अक्टूबर 2017 में लिखा गया और अधिकारी के बेटे के नाम जमीन की रजिस्ट्री 2021 में हुई।
नौकर को पावर आफ अटॉर्नी
यशपाल ने एससी किसानों की जमीनों को अपने नाम करवाने के लिए अपने तीन आदमियों बागपत निवासी कर्मवीर, बेलू और कृष्णपाल को फर्जी दस्तावेज के जरिए चिटहेरा का निवासी दिखा दिया। बाद में इनके नाम से जमीन की पावर आफ अटॉर्नी नौकर मालू के नाम पर करवा दी। इनका खाता दादरी बैंक में ससुर ज्ञानचंद के साथ खुलवाया, ताकि जमीनों का पैसा आने पर उसे निकाला जा सके सके।
प्रशासन के अधिकारियों की रही मिलीभगत
यशपाल ने प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से खूब खेल किए। 1997 के पट्टे जब तक यशपाल के आदमियों के नाम पर नहीं हुए, उन जमीनों को अधिकारियों ने बहाल नहीं किया। एग्रीमेंट होते ही फाइल तत्कालीन एडीएम हापुड़ के यहां ट्रांसफर करवा ली गई। फिर उनके यहां से पट्टे बहाल करवाए गए। एक ही समय में तत्कालीन एसडीएम दादरी ने 110 पट्टे संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिए। बाद में यशपाल ने कागजों में हेरफेर करके पट्टों के रकबे बढ़वा लिए। बढ़ी हुई जमीनों की पावर आफ अटॉर्नी नौकर मालू के नाम करवा दी। 2017 में स्टे ऑर्डर के बाद भी जमीनों का मुआवजा उठा लिया। क्योंकि तत्कालीन एसडीएम ने स्टे ऑर्डर को पत्रावली पर दर्ज नहीं किया था।
Author: samachar
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