दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
मेरठ के रेड लाइट एरिया कबाड़ी बाजार में काम करने वाली महिलाओं के बच्चे भले ही पढ़-लिख कर अफसर बन गए हों, पर उन बच्चों की मां अभी भी वेश्यामवृत्ति करने को अभिशप्त हैं।
राजस्थारन से आकर कबाड़ी बाजार में बसीं और उम्र बीतने के बाद एक कोठे की मालकिन बन चुकी ऐसी ही एक महिला ने अपना दर्द साझा किया। इस महिला का बेटा पूना में इंजीनियर है। उसकी मां ने न सिर्फ उसे पढ़ाया लिखाया, बल्किा पूना में एक फ्लैट भी लेकर दिया। उसने अपने बेटे की शादी भी की। लेकिन वह अपने बेटे-बहू के साथ आज भी नहीं रह पा रही है।
करीब 40 वर्ष की इस महिला ने बताया कि जवानी के दिनों में रोजाना कम से कम 10 से 12 ग्राहक आते थे। ग्राहक अब भी आते हैं, लेकिन उनकी संख्याि तीन से चार ही रह गई है। उम्र बीतने के साथ सर्विस रेट भी कम हो गए हैं। पहले 200 से 400 रुपये तक भी मिल जाते थे, अब 200 रुपये भी मिल जाएं तो गनीमत है।
मेरठ के कबाड़ी बाजार चौराहे से घंटाघर की तरफ जाने वाली रोड पर तकरीबन 500 से भी ज्या दा वेश्याेएं काम करती हैं। रोड पर नीचे दुकानें चलती हैं और ऊपर कोठों पर सेक्स का व्या पार होता है। कोठों के नीचे बनी दुकानों के खुलने और बंद होने का वक्तह तय है पर ऊपर कोठों में काम करने वाली महिलाओं का कोई भी वक्तऔ तय नहीं है। पतली संकरी सीढ़ियों से ऊपर जाते रास्ते् पर लोग अपनी खुशी के लिए चढ़ते हैं, पर पीछे जो छोड़ आते हैं, उसका दर्द बयां किया इस महिला ने।
सपना (काल्पानिक नाम) ने बताया कि तकरीबन 25 साल पहले वह राजस्था्न से यहां आई। उससे पहले उसकी मां और उसकी नानी भी यही काम करती थीं। पर यहां आकर सपना ने अपने बच्चों से ये काम न कराने की सोची। कबाड़ी बाजार में ही सपना ने एक बेटी और एक बेटे को जन्म दिया। दोनों जब पढ़ने लिखने की उम्र के हुए तो दोनों को बोर्डिंग में भर्ती करा दिया। सपना का बेटा पढ़ने में तेज था। सपना ने बताया कि पहले उसे दिल्ली और उसके बाद पूना में पढ़ाया।
अब सपना का बेटा 25 साल का हो गया है। पूना में उसे अच्छी नौकरी भी मिल चुकी है। सपना ने बताया कि बेटी की उसने बिहार में शादी कर दी है। उसकी बेटी को पिछले साल नवंबर में एक पुत्र भी हुआ है। सपना से पूछा कि क्या वह अपने बेटे के साथ नहीं रहना चाहती तो सपना काफी देर तक सोचती रही। इसके बाद उसने जो बताया, उसका दावा था कि उसकी बात उसी की दुनिया के लोग समझ सकते हैं, बाहरी दुनिया के लोग नहीं।
सपना ने बताया कि उसका बहुत मन होता है कि वह अपने परिवार के साथ रहे। उसकी बहू गर्भवती है और डॉक्टर ने अप्रैल की डेट दी हुई है। वह जाना चाहती है पर सोचती है कि वहां उसका जाना ठीक नहीं। यह पूछने पर कि क्या वह अपने बेटे या बेटी के पास कभी नहीं गई, उसने बताया कि एक दो बार गई है, पर उसे वहां ठीक नहीं लगता। हालांकि पूना या बिहार में उसे कोई नहीं पहचानेगा, फिर भी उसका कहना है कि वो अपने बेटे के साथ नहीं रहना चाहती। दबी जुबान में सपना ने यह भी स्वीकार किया कि बेटे के पास जाने पर बेटे को भी खराब फील होता है।
तो क्या जिंदगी भर यहीं रहेगी?
इस सवाल के जवाब में सपना का कहना था कि हां। अब वह जिंदगी भर कोठे पर ही रहेगी। जब हमने पूछा कि उम्र के साथ साथ कमाई भी तो कम होती जाएगी, तब वह क्याो करेगी। इस पर उसका कहना था कि बेटे ने मदद करनी शुरू कर दी है। वह पैसे भेजता रहता है।
Author: samachar
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