राकेश तिवारी की रिपोर्ट
देवरिया। जिला के लार थाना अंतर्गत धंधवार में चल रहे भागवत कथा के चौथे दिन पंडित- शैलेंद्र शास्त्री, ने श्रद्धालुओं को संगीतमय कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जीव की मुक्ति की कथा भागवत कथा है। हम सभी पशु पक्षी के तरह ही जीव हैं ।जीव में जब धर्म अनुशासन हो जाए तथा उस जीव के आचरण धर्म व वेद के अनुसार होने लगे तो तब वह जीव मानव बनता है । यही मानव और पशु में मूल भेद है धर्म हमें आचरण विचार तथा संस्कार सिखाता है । धर्म ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता है भागवत कथा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे की आचाय धर्म को लोगों को समझाते हैं या समझते हैं मनुष्य को मुक्त प्रदान करने के लिए एकमात्र उत्तम व्यवस्था है। इसलिए राजा परीक्षित स्वर्ग से भगवान इंद्र द्वारा लाए अमृत को अस्वीकार कर कथामृत का रसपान करना श्रेयस्कर समझे । भगवत पुराण स्वयं भगवान की दिव्य ज्योति का प्रमाण है । भागवत भगवान का रूप है।
इसके बाद कृष्ण भगवान की जन्मोत्सव का कथा बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किए। जिस कथा के सुनकर सभी श्रद्धालुओं ने भाव विभोर हो गए ।
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इस कथा में मुख्य रूप से मुख्य यजमान- सुभावती देवी पत्नी स्वर्गीय वीरेंद्र तिवारी, अनूप तिवारी, गजेंद्र तिवारी, रविंद्र तिवारी, रंजीत तिवारी, संदीप तिवारी, पुनीत तिवारी ,सुदिस तिवारी, अशोक तिवारी, भूपेंद्र तिवारी, राज किशोर मिश्र, रामशीष मिश्र, जटाशंकर मिश्र, विनोद तिवारी ,आदित्य नारायण तिवारी, प्रमोद सिंह ,अरविंद पांडे, श्रवण कुमार उर्फ (डब्ल्यू) व्यास अनुज पांडे, आकाश तिवारी, वैभव तिवारी ,अश्वनी तिवारी तुलसी मिश्र ,आदि मुख्य रूप से थे।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."