दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
असद और गुलाम के एनकाउंटर के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसकी टैग लाइन थी, ‘कहते हैं उत्तर प्रदेश में का बा, अरे बाबा बा ना।’ दरअसल, यह विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ के दिए गए भाषण का एक अंश था। यह इकलौता बयान या वीडियो नहीं था, जो गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल था। योगी के ‘मिट्टी में मिला दूंगा’ वाले बयान की क्लिप हर ओर नमूदार थी। यूपी बीजेपी ने भी ट्वीट किया, ‘जो कहते हैं, वो कर दिखाते हैं।’ दुर्दांत अपराध पर सफाई के बजाय कार्रवाई की सीधे चुनौती और उसके जमीनी अमल का यह ट्रेंड ने ब्रैंड योगी की चमक और सियासी धमक को और मजबूत करता दिख रहा है।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मोदी के ‘राशन’ और योगी के कानून के ‘शासन’ के मुद्दे को लेकर गई थी। चुनावी सभाओं में अपराधियों पर कार्रवाई के प्रतीक के तौर पर दर्शाया जा रहा बुलडोजर विपक्ष के सियासी मंसूबों पर चला और भाजपा की सत्ता की राह समतल बना दी। असर यह रहा कि न केवल भाजपा शासित राज्यों, बल्कि विपक्ष की अगुआई वाले राज्यों में भी अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलने लगा। यूपी के मंच हो या यूपी के बाहर भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी कानून-व्यवस्था के ‘योगी मॉडल’ को नजीर के तौर पर पेश किया । बुलडोजर के साथ ही अपराधियों पर चली पुलिस की ‘बुलेट’ के बाद अब योगी और दावे के साथ सुने और कहे जाएंगे।
चुनौती बड़ी तो लाइन और बड़ी !
एनकाउंटर के बाद घटना के विवरण से जुड़ी एसटीएफ के प्रेसनोट में लिखा था कि यह घटना क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के जड़ पर प्रहार था। इस प्रकार की घटना से गैंग ने अपने खौफ को कायम रखने का प्रयास किया। दिन-दहाड़े हुई इस घटना ने आम जनमानस को भी भयाक्रान्त किया। हालांकि, सियासत में इस घटना को योगी के इकबाल पर सवाल के तौर पर पढ़ा गया। यही कारण है कि विपक्ष के बड़े से बड़े चेहरे अक्सर सरकार को दिन गिनाते व ‘मिट्टी में मिलाने’ की याद दिलाते नजर आते थे। लेकिन, इससे पहले कि आरोपितों की चमक व सरकार का इकबाल धुंधला पड़े उन्हें ‘अंजाम’ तक पहुंचकर योगी ने बड़ी लाइन खींच दी। निकाय चुनाव के बीच हुई यह कार्रवाई सियासी असर भी दिखा सकती है।
कल तक कार्रवाई न होने पर पर सवाल उठा रहा विपक्ष अब एनकाउंटर से ‘खफा’ है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसे ‘भाईचारा’ से जोड़ दिया है। दरअसल, इस मुद्दे का माइलेज भाजपा के पक्ष में है, इसलिए विपक्ष की उम्मीद भी अब ‘उत्पीड़न व पक्षपात’ के आरोपों के जरिए ‘ध्रुवीकरण’ पर ही टिकी है। सपा-बसपा दोनों के प्रयास उसी दिशा में हैं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."