दुर्गा प्रसाद शुक्ला और ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में गुवाहाटी पुलिस की ताबड़तोड़ दबिश ने सफलता हासिल कर ली है। मथुरा के एक शख्स को पुलिस ने उठाया है। पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया है उस पर नरबलि देने का आरोप लगा है। पुलिस ने उक्त मामले से जुड़े करीब 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि फरार चल रहे लोगों की तलाश अभी भी पुलिस कर रही है।
मथुरा के एक शख्स ने गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में बंगाल की एक महिला की बलि चढ़वा दी। आरोपी व्यक्ति ने वहां के भूतनाथ मंदिर में अपने छोटे भाई के लिए पूजा कराई थी। जिसकी मृत्यु 11 साल पहले हो चुकी थी। आरोपी ने पूजा में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 10-10 हज़ार रुपये की रकम नगद दी थी। असम पुलिस ने 4 साल पहले कामाख्या मंदिर के पास हुई मानव बलि की घटना को लेकर 5 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने बताया कि 19 जून 2019 को अंबुबाची मेले के दौरान मानव बलि के नाम पर एक महिला का सिर काट दिया गया था, जो मंदिर की सीढ़ियों पर मिला था। गुवाहाटी पुलिस के अधिकारी दिगंता बाराह ने जानकारी देते हुए बताया कि 19 जून 2019 को कामाख्या मंदिर के पास जॉय दुर्गा मंदिर की सीढ़ियों पर एक महिला का सिर कटा हुआ शव मिला था।
जालुकबॉडी पुलिस स्टेशन में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था, काफी छानबीन की गई, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस ने अपनी जांच को और बारीकी से करना शुरू किया। करीब 1 महीने बाद मृतक महिला की पहचान हुई। उसकी पहचान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की निवासी 64 वर्षीय शांति शां के रूप में हुई।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि शांति ने वार्षिक अंबुबाची मेले में भाग लेने के लिए एक साधु और दो अन्य महिलाओं के साथ पश्चिम बंगाल से असम की यात्रा पर आई हुई थी, लेकिन वह उसके बाद लापता हो गई। उनका बेटा सुरेश शां 28 जुलाई को जालुक बाड़ी थाने आया था। उसके बेटे को सिर कटी हुई लाश पहचान के लिए दिखाई गई तो उसने अपनी मां को पहचान लिया। शव की पहचान उसके कपड़े और गहनों के साथ-साथ शरीर पर बने कुछ टैटू के आधार पर की गई। पहचान के अलावा और कोई सुराग या सबूत नहीं मिला।
पुलिस की पूछताछ में खुला मानव बलि का राज
उन्होंने कहा कि असम पुलिस की एक विशेष टीम को हाल ही में 2019 के मामले में जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था। टीम ने कुछ तकनीकी साक्ष्य को जुटाने के बाद उनका विश्लेषण किया। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार गए और कैलाश बर्मन के घर की तलाशी ली गई। टीम को वहां पीड़िता के मोबाइल, हैंडसेट और कपड़े के अलावा आईडी प्रूफ (आधार कार्ड) जैसे सामान प्राप्त हुए। पुलिस ने जब कैलाश बर्मन से सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारे राज तोते की तरह उगल दिए।
बर्मन ने खुलासा करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश निवासी माता प्रसाद पांडेय एक बाबा जी के साथ उन सामानों को एक बैग में भरकर उनके घर छोड़ गए थे। बर्मन ने पुलिस को बताया कि माता प्रसाद पांडेय पहली बार करीब 8 साल पहले उनके गांव आए थे और तब से वह हर साल जून-जुलाई के महीने में गांव आते जाते रहते। 2019 में पांडेय अपने घर गए और उन सामानों को एक बैग में छोड़ गए।
गुवाहाटी के फैंसी बाजार से खरीदा गया था चाकू
माता प्रसाद पांडेय को मध्यप्रदेश के जबलपुर से इस वर्ष 25 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था। पांडेय ने खुलासा किया कि भूतनाथ मंदिर में 18 और 19 जून की रात को पूजा की गई थी। इसे एक कपाली, काल, भैरव या काली पूजा कहा जाता है। पूजा में करीब 12 व्यक्तियों ने भाग लिया था। यह पूजा यूपी के मथुरा निवासी प्रदीप पाठक ने अपने छोटे भाई के लिए कराई थी। जो कि एक नागा साधु था और उसी दिन 11 साल पहले उसकी मृत्यु हो गई थी। उन्होंने इसमें हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 10-10 हज़ार रुपये का नगद भुगतान किया।
पुलिस ने बताया कि 19 जून 2019 को अंबुबाची मेले के दौरान मानव बलि के नाम पर एक महिला का सिर काट दिया गया था, जो मंदिर की सीढ़ियों पर मिला था। गुवाहाटी पुलिस के अधिकारी दिगंता बाराह ने जानकारी देते हुए बताया कि 19 जून 2019 को कामाख्या मंदिर के पास जॉय दुर्गा मंदिर की सीढ़ियों पर एक महिला का सिर कटा हुआ शव मिला था।
जालुकबॉडी पुलिस स्टेशन में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था, काफी छानबीन की गई, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस ने अपनी जांच को और बारीकी से करना शुरू किया। करीब 1 महीने बाद मृतक महिला की पहचान हुई। उसकी पहचान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की निवासी 64 वर्षीय शांति शां के रूप में हुई।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि शांति ने वार्षिक अंबुबाची मेले में भाग लेने के लिए एक साधु और दो अन्य महिलाओं के साथ पश्चिम बंगाल से असम की यात्रा पर आई हुई थी, लेकिन वह उसके बाद लापता हो गई। उनका बेटा सुरेश शां 28 जुलाई को जालुक बाड़ी थाने आया था। उसके बेटे को सिर कटी हुई लाश पहचान के लिए दिखाई गई तो उसने अपनी मां को पहचान लिया। शव की पहचान उसके कपड़े और गहनों के साथ-साथ शरीर पर बने कुछ टैटू के आधार पर की गई। पहचान के अलावा और कोई सुराग या सबूत नहीं मिला।
पुलिस की पूछताछ में खुला मानव बलि का राज
उन्होंने कहा कि असम पुलिस की एक विशेष टीम को हाल ही में 2019 के मामले में जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था। टीम ने कुछ तकनीकी साक्ष्य को जुटाने के बाद उनका विश्लेषण किया। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार गए और कैलाश बर्मन के घर की तलाशी ली गई। टीम को वहां पीड़िता के मोबाइल, हैंडसेट और कपड़े के अलावा आईडी प्रूफ (आधार कार्ड) जैसे सामान प्राप्त हुए। पुलिस ने जब कैलाश बर्मन से सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारे राज तोते की तरह उगल दिए।
बर्मन ने खुलासा करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश निवासी माता प्रसाद पांडेय एक बाबा जी के साथ उन सामानों को एक बैग में भरकर उनके घर छोड़ गए थे। बर्मन ने पुलिस को बताया कि माता प्रसाद पांडेय पहली बार करीब 8 साल पहले उनके गांव आए थे और तब से वह हर साल जून-जुलाई के महीने में गांव आते जाते रहते। 2019 में पांडेय अपने घर गए और उन सामानों को एक बैग में छोड़ गए।
गुवाहाटी के फैंसी बाजार से खरीदा गया था चाकू
माता प्रसाद पांडेय को मध्यप्रदेश के जबलपुर से इस वर्ष 25 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था। पांडेय ने खुलासा किया कि भूतनाथ मंदिर में 18 और 19 जून की रात को पूजा की गई थी। इसे एक कपाली, काल, भैरव या काली पूजा कहा जाता है। पूजा में करीब 12 व्यक्तियों ने भाग लिया था। यह पूजा यूपी के मथुरा निवासी प्रदीप पाठक ने अपने छोटे भाई के लिए कराई थी। जो कि एक नागा साधु था और उसी दिन 11 साल पहले उसकी मृत्यु हो गई थी। उन्होंने इसमें हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 10-10 हज़ार रुपये का नगद भुगतान किया।
पाठक को 1 अप्रैल 2023 को मथुरा से उनके आवास से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार हुए प्रदीप पाठक के अलावा तीन और लोग गिरफ्तार किए गए हैं। उनकी पहचान सुरेश पासवान, कानू आचार्य या कानू तांत्रिक, भैयाराम मौरिय उर्फ़ राजू बाबा के रूप में हुई है। बताया कि दो बाबाओं सहित लगभग एक दर्जन लोगों ने भूतनाथ मंदिर में पूजा की थी। उन्होंने बताया कि इससे पहले उनमें से एक आरोपी ने उस रस्म के लिए गोहाटी के फैंसी बाजार से एक दुकान से चाकू खरीदा जिसकी उन्होंने योजना बनाई थी।
ब्रह्मपुत्र नदी में फेंका गया कटा हुआ सिर
बताया गया है कि आधी रात को भूतनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद सभी पहले कामाख्या मंदिर गए और बाद में बगुला मंदिर के पास श्मशान घाट गए। पीड़िता को जय दुर्गा मंदिर ले गए। वहां पूजा की शराब और मांस का सेवन किया। पीड़िता को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पूजा के बाद उसकी बलि देने के लिए ले जाया जा रहा है। राजू बाबा ने अपनी पीठ पर एक कंबल लपेटा हुआ था। उसे जय दुर्गा मंदिर की सीढ़ियों के ऊपर फैला दिया। महिला को उस पर लेटने के लिए कहा फिर उन्होंने उसके सिर और हाथ पकड़ लिए। इससे पहले कि वह बचने के लिए कोई कदम उठा पाती उनमें से एक ने कामाख्या मां को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि के नाम पर चाकू निकाल लिया और उसका सिर काट दिया। उन्होंने शरीर और कंबल को फर्श पर छोड़ दिया, जबकि सिर को एक पॉलिथीन के बैग में पैक कर दिया। कटे हुए सिर को आरोपियों ने ब्रह्मपुत्र नदी में फेंकने का दावा किया।
पुलिस की पकड़ से दूर हैं अन्य आरोपी
पुलिस ने बताया कि मृतक महिला के परिजनों ने खुलासा किया है कि वह हर साल अंबुबाची मेले के दौरान कामाख्या मंदिर जाती थीं, लेकिन उस साल वह वापस नहीं लौटीं। उनका कोई पता नहीं चला। उन्होंने इसके बारे में स्थानीय पुलिस को सूचित किया। बाद में खोज के लिए गुवाहाटी गए। पुलिस ने कहा कि वह मामले की आगे की जांच कर रहे हैं। क्योंकि कुछ आरोपी अभी फरार हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."