Explore

Search
Close this search box.

Search

27 December 2024 9:10 am

लेटेस्ट न्यूज़

जनाधार मजबूत करने को लगाया गया दांव पड़ गया उल्टा ; शाइस्ता परवीन बनीं बसपा के गले की फांस

25 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

प्रयागराज, उमेश पाल हत्याकांड की एफआईआर में नामजद होने से माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी के गले की फांस बन गई हैं। नगर निकाय चुनाव में बसपा की मेयर प्रत्याशी शाइस्ता को साथ रखने या निष्कासित करने में भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी अब ऐसे दोराहे पर खड़ी है, जहां उसके लिए आगे बढ़ने का निर्णय लेना ही कठिन हो गया है। चुनाव में जनाधार मजबूत करने के लिए जनवरी के पहले सप्ताह में लगाया गया दांव बसपा को उल्टा पड़ा।

तमाम राजनीतिक गुणा-भाग के बाद चुनावी फायदे के लिए बसपा ने शाइस्ता परवीन को अपने पाले में किया था यह जानते हुए भी कि वह माफिया अतीक अहमद की पत्नी हैं और अतीक व मायावती दो विपरीत ध्रुव भी समझे जाते रहे हैं। 

बीते 10 साल में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुकी बसपा को आगामी नगर निकाय चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की चाह है। यही वजह है कि पार्टी ने पांच जनवरी को अपने कट्टर दुश्मन माफिया अतीक अहमद से भी हाथ मिला लिया। यह बात राजनीतिक गलियारों में तो क्या, आम जनता को भी हजम नहीं हुई थी। बावजूद इसके शाइस्ता ने बसपा का झंडा थामा और चुनाव प्रचार में जुट गईं।

बीते 24 फरवरी को सुलेमसरांय में उमेश पाल की हत्या में नामजद होने से शाइस्ता परवीन बसपा के गले की फांस बन गई हैं। दरअसल, डबल इंजन की सरकार में विपक्ष की कमजोरी बसपा को भी लगातार नुकसान पहुंचा रही है। पार्टी को अपना कैडर वोट भी खिसकता हुआ नजर आ रहा है। 

अब शाइस्ता परवीन के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी पदाधिकारियों को भी परेशान करने लगी है। वहीं बसपा के लिए यह भी मुसीबत है कि शाइस्ता परवीन को निष्कासित किया तो मुस्लिम मतदाता फिसल सकते हैं।

बसपा जिलाध्यक्ष टीएन जैसल कहते हैं कि सीधे किसी पर दोषारोपण नहीं कर सकते। शाइस्ता परवीन के मामले में पार्टी शीर्ष स्तर पर निर्णय लेगी। जनाधार कहीं से कमजोर नहीं हुआ है, वार्डों में बैठकें जारी हैं। कहा कि शाइस्ता के मामले में बसपा प्रमुख मायावती ट्वीट के जरिए अपनी मंशा को साफ कर चुकी हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़