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28 December 2024 12:53 am

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बंगाल में बैठक, अमेठी में ताल… तीसरे मोर्चे की कवायद में सज रहे थर्ड फ्रंट के मंच पर साइकिल पर सवार अखिलेश 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

खोई सियासी जमीन वापस पाने को सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पुराने ‘समझौतों’ को तोड़ नए प्लान पर जुट गए हैं। अखिलेश ने 2024 में गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी और रायबरेली से सपा की दावेदारी का इशारा किया है। वहीं, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अगली बैठक 18 मार्च से ममता के गढ़ पश्चिम बंगाल में बुलाई है। गांधी परिवार को सीधे चुनौती देने की कवायद को तीसरे मोर्चे में पैठ और मजबूत करने की रणनीति मानी जा रही है।

1999 में पीएम बनने के मुद्दे पर सोनिया और मुलायम के बीच बढ़ी तल्खी के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने शीर्ष नेताओं के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए थे। इसके बाद यूपी में करीब डेढ़ दशक से एकाध मौकों को छोड़ गांधी परिवार व सैफई परिवार का एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार न उतारने का ही समझौता रहा।

अखिलेश इस लीक से आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने आजमगढ़ में कहा कि सपा गठबंधन लोकसभा में यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। अब अमेठी दौरे के बाद सोमवार को उन्होंने कह दिया, ‘सपा अमेठी की दरिद्रता मिटाने का संकल्प लेती है।’

कांग्रेस पर इतना कठोर क्यों?

सपा को कांग्रेस के साथ दोस्ती का अब तक कोई चुनावी फायदा नहीं मिला है। कांग्रेस के साथ भाजपा से मुकाबिल होने पर राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के ‘साइड इफेक्ट’ भी सपा के खाते में आते हैं। 2024 के चुनाव के लिए थर्ड फ्रंट का भी मंच सज रहा है, जिस पर अखिलेश भी सवार हैं।

1 मार्च को स्टालिन के जन्मदिन में शामिल होने के लिए नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा में बजट पर नेता सदन योगी आदित्यनाथ के जवाब के दौरान गैरहाजिर रहना चुना। थर्ड फ्रंट की कांग्रेस-भाजपा से बराबर दूरी है। इसलिए, अखिलेश भी किसी तरह का ‘भ्रम’ नहीं रखना चाहते।

बंगाल में क्यों बना रहे रणनीति?

करीब 10 साल बाद कोलकाता में फिर सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक 18 मार्च से होगी। जिस बंगाल में सपा की कोई जमीन नहीं है वहां भविष्य की रणनीति तय करने की कवायद मुलायम की रवायत और ममता बनर्जी से दोस्ती और गाढ़ा करने की कोशिश मानी जा रही है। मुलायम ने कोलकाता में पांच बार पार्टी की कार्यसमिति बुलाई थी।

वहीं, ममता 2022 में सपा के प्रचार के लिए यूपी आई थीं। सपा की आगामी बैठक में भी ममता बनर्जी आने की चर्चा है। पार्टी और अपने कद के राष्ट्रीय विस्तार की कवायद में अखिलेश इस दोस्ती को और मजबूत करने में लगे हैं।

क्या कहा अखिलेश ने

अमेठी में ग़रीब महिलाओं की दुर्दशा देखकर मन बहुत दुखी हुआ। यहाँ हमेशा वीआईपी जीते और हारे हैं, फिर भी यहाँ ऐसा हाल है तो बाकी प्रदेश का क्या कहना। अगली बार अमेठी बड़े लोगों को नहीं बड़े दिलवाले लोगों को चुनेगा। सपा अमेठी की दरिद्रता को मिटाने का संकल्प उठाती है।

यूं चली दोस्ताना लड़ाई

सपा

1999 में सोनिया गांधी और 2004 से 2019 तक राहुल के खिलाफ सपा अमेठी में नहीं लड़ी

2009-2019 तक रायबरेली में सोनिया को सपा का वॉकओवर रहा

कांग्रेस

2009 से 2022 तक मुलायम, तेज प्रताप, डिंपल के खिलाफ मैनपुरी में कांग्रेस नहीं लड़ी, हालांकि, 2014 में आजमगढ़ से मुलायम को चुनौती दी थी।

2009 से 2019 के बीच कांग्रेस ने कन्नौज से अखिलेश या डिंपल के खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया। हालांकि, 2009 में फिरोजाबाद उपचुनाव में कांग्रेस के राजबब्बर ने डिंपल यादव को हराया था।

2019 में अखिलेश के खिलाफ आजमगढ़, अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद में चुनाव से बाहर रही। 2022 में भी अखिलेश-शिवपाल को वॉकओवर।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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