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November 1, 2024 10:56 pm

जो रस बरस रहा बरसाने, सो रस तीन लोक में नाँय ; नंदगांव के हुरियारों पर गोपियों ने बरसाईं प्रेम पगी लाठियां ; वीडियो ? देखिए

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ठाकुर धर्म सिंह व्रजवासी की रिपोर्ट

मथुरा।  बरसाना में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बहुत ही धूमधाम से मनाई गई। 

बरसाना में लट्ठमार होली को देखने पहुँचे देश विदेश से श्रद्धालु

लट्ठमार होली दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग बरसाना पहुंचते हैं। इस दिन महिलाएं पुरुषों के ऊपर लाठी चलाती है और वह खुद की रक्षा ढाल से करते हैं।

भारत में विभिन्न तरह के तीज त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक त्योहार है होली का पर्व। देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी में होली का पर्व अलग ही अंदाज में मनाया जाता है। फूलों की होली के साथ शुरू हुआ ये त्योहार रंगों की होली के साथ समाप्त होता है। राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ये पर्व दुनियाभर में मशहूर है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग मथुरा, बरसाना पहुंचते हैं। होली के इस पर्व में एक दिन लट्ठमार होली खेलती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों के ऊपर लाठी बरसाती है और खुशी से हर कोई रस्म को निभाता है। 

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पौराणिक कथा के अनुसार, लट्ठमार होली द्वापर युग से शुरू हुई थी। नंदगांव के कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी के गांव बरसाना जाया करते हैं। वहीं पर राधा रानी और गोपियों श्री कृष्ण और उनके सखाओं की शरारतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए लाठियां बरसाती थी। ऐसे में कान्हा और उनके सखा खुद को बचाने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे ही धीरे-धीरे इस परंपरा की शुरुआत हो गई है जिसे बरसाना में धूमधाम से मनाते हैं।

बता दें कि लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव के लोगों के बीच खेली जाती है।  लट्ठमार होली के एक दिन पहले फाग निमंत्रण दिया था।

बरसाना की गलियों में होली के गीत गाते लोग नंदगांव के कृष्ण रुपी हुरियारे, जोकि बरसाना में राधा रुपी गोपियों के साथ होली खेलने आए। हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के तहत नंद गांव के हुरियारे पीली पोखर पर आते हैं। जहां उनका स्वागत बरसाना के लोग ठंडाई और भांग से करते हैं। यहां से ये हुरियारे रंगीली गली पहुंचते हैं, जहां ये बरसाना की हुरियारिनों को होली के गीत गाकर रिझाते हैं। होली के गीत और गालियों के बाद होता है नाच गाना और फिर खेली जाती है लट्ठमार होली, जिसमें बरसाना की हुरियारिन नन्द गांव के हुरियारों पर लाठियों की बरसात करती हैं। जिसका बचाव नन्द गांव के हुरियारे अपने साथ लाई ढाल से करते हैं।

देश-विदेश से आते हैं लोग

इस होली को खेलने के लिए नन्द गांव से बूढ़े, जवान और बच्चे भी आते हैं। राधा कृष्ण के प्रेम रूपी भाव से होली खेलते हैं। कहा जाता है कि द्वापर युग से चली आ रही इस परम्परा के अनुसार राधा रूपी बरसाने की हुरियारिन कृष्ण रूपी नंदगांव के हुरियारों पर प्रेम भाव से भरी लाठियां बरसाती हैं, जिनसे बचने के लिए हुरियारे अपने साथ लाई ढाल का प्रयोग करते हैं। बरसाना की इस अनोखी लट्ठमार होली को देखने के लिए श्रद्धालु देश-विदेश के कोने-कोने से आते हैं। राधा और कृष्ण की प्रेम स्वरूप होली को देखकर आनंदित हो उठते हैं।

ब्रज में चालीस दिन तक चलने वाले इस होली में जब तक बरसाना की हुरियारिन नंदगांव के हुरियारों पर लट्ठों से होली नहीं खेलतीं, तब तक होली का आनंद नहीं आता है। कहा जाता है कि इस बरसाना की लट्ठमार होली को देखने के लिए स्वयं देवता भी आते हैं। इस होली में भक्त इतने उत्साहित होकर झूमते गाते और नाचते हैं। राधा रानी मंदिर पर फूलों की बारिश करने के लिए हेलीकाप्टर भी मंगाया, जिससे राधा रानी मंदिर के साथ साथ लट्ठमार होली पर भी फूलों से बरसात की गई।

भारी वाहनों का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंध

बरसाना में होने बाली लट्ठमार होली का आयोजन के चलते 26 फरवरी से बरसाना में भारी वाहन प्रतिबंधित कर दिया गया था। रविवार से बरसाना की तरफ जाने वाले भारी वाहन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहा। गोवर्धन, छाता, कोसीकलां और कामां से कोई भी भारी वाहन बरसाना की तरफ नहीं जा सकेगा। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान पूरी तरह से मुस्तैद रहे।

आगरा जोन के अलावा इन जोनों की पुलिस ने संभाला मोर्चा

बरसाने की लड्डू होली और लठमार होली के आयोजन के दौरान बरसाना पूरी तरह से छावनी में तब्दील किया गया। वहीं, सुरक्षा के लिए आगरा, झांसी, कानपुर, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर जोन की पुलिस फोर्स बरसाना में डेरा डाले हुए है। बरसाना की लठामार होली के लिए सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध किए गए। पुलिस और पीएसी के जवान 26 फरवरी की शाम ब्रीफिंग के बाद फोर्स अपने प्वाइंटों पर मुस्तैद हो गए। खुफिया विभाग के जवान सादा वर्दी में मुस्तैद रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."