राकेश तिवारी की रिपोर्ट
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शनिवार रात को पत्नी ने दो बेटे और पति की हत्या कर दी थी। पुलिस ने जब बेटी से पूछताछ की तो उसने सारा सच बताया दिया। बेटी ने बताया कि मैं सोई हुई थी और दूसरे कमरे से आवाज आ रही थी। जब मैं उठकर गई तो मम्मी के हाथ में चाकू था और वो पापा के गले पर चाकू मार रही थीं। बता दें कि पति पत्नी प्रॉपर्टी को लेकर आए दिन विवाद होता रहता था। पत्नी प्रॉपर्टी में बेटी को भी हिस्सेदार बनाना चाहती थी, जबकि पति तैयार नहीं था।
महीनों से चल रहे विवाद ने लिया मौत का रूप
सहजनवा के सहबाजगंज के रहने वाले अवधेश ने पहली पत्नी के मरने के बाद जब दूसरी शादी नीलम से की तो नीलम की 12 साल की बेटी भी उसके साथ आई थी। हालांकि, अवधेश को इस बात का अंदाजा नहीं था कि सम्पत्ति में बंटवारे के लिए उसके और उसके दोनों बेटों की हत्या कर दी जाएगी। गांव वालों ने बताया कि घटना से एक हफ्ता पहले ही अवधेश घर छोड़कर चला गया था। फिर नीलम ने ही पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके एक हफ्ते बाद ही अवधेश घर आ गया था। महीनों से अवधेश और नीलम की लड़ाई होती थी। नीलम का कहना था कि जायजात में हमारी बेटी का भी बराबर का हिस्सा होना चाहिए।
बेटी बोली मैं उठी तो मम्मी पापा को चाकू मार रही थी
जिस दिन नीलम अपने पति अवधेश और दो सौतेले बेटों की गला रेत कर हत्या कर रही थी। उस दिन नीलम की बेटी भी वही सोई थी, लेकिन नीलम ने अपने पति और दो सौतेले बेटों की हत्या कर दी और अपने बेटी को कुछ नहीं किया। पुलिस ने जब बेटी से पूछताछ की तो उसने बताया कि जब कमरे में आवाज हो रही थी तो अचानक मैं उठी तो देखा मां पापा के गले पर चाकू मार रही और आर्यन और आरव को पहले ही मार चुकी थी। मैं भी डर गई थी, लेकिन मां ने मुझे शांत करा दिया था।
नीलम बोली रिश्तेदारों के कहने पर की थी शादी
नीलम ने कहा कि मुझे किए पर पछतावा नहीं है। रिश्तेदारों के कहने पर अवधेश से मैंने शादी की। नीलम की ननद का पति अवधेश का रिश्तेदार था। उसी के कहने पर यह शादी तय की गई थी। नीलम ने कहा कि पहले पति के मरने के बाद मेरी एक बेटी थी और अवधेश की भी पहली पत्नी के मरने के बाद उसके भी दो बेटे थे। मैंने सोचा शादी करने के बाद जिंदगी संवर जाएगी, लेकिन अवधेश मेरी बेटी पर गलत नीयत रखता था और अपने ही बेटों को सिर्फ संपत्ति देने की बात कहता था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."