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November 23, 2024 5:33 am

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खीर खाकर ठाकुरों की मौत का लिया खौफनाक बदला, गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठा इलाका 

9 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

17 फरवरी 2004: आज से 19 साल पहले फूलन देवी के हत्यारे शेर सिंह राणा का नाम एक बार फिर देश में चर्चा में आ गया। वजह थी शेर सिंह राणा के तिहाड़ जेल से फरार होने की । फूलन देवी की हत्या के आरोप में शेर सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था, लेकिन बावजूद इसके वो वहां से सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार होने में कामयाब हो गया।

फूलन के हत्यारे शेर सिंह राणा की कहानी

जेल में एक साल से शेर सिंह भागने की तैयारी कर रहा था। उसने जेल से ही अपने कुछ गैंगस्टर्स साथियों से संपर्क साधा। पैसे की व्यवस्था करवाई। रुड़की के ही एक शख्स संदीप की इस काम में मदद ली गई। संदीप ने खुद को प्रदीप ठाकुर नाम का वकील बताकर जेल में दाखिल होने इंतजाम किया। वो रोज शेर सिंह से मिलने जेल में आने लगा। मुलाकात के बहाने वो जेल से निकलने की योजना पर काम कर रहे थे। इस काम के लिए प्रदीप को शेर सिंह 6 लाख रुपये दिए। प्रदीप ने राणा का नकली वारंट तैयार किया साथ ही कुछ और फर्जी कागजात तैयार किए गए। ये कागज वकील बने प्रदीप ठाकुर ने जेल अधिकारियों को दिखाए और हरिद्वार कोर्ट में पेशी के नाम पर शेर सिंह को बाहर निकाल लिया।

अफगानिस्तान से पृथ्वीराज की अस्थियां लाने का दावा

जेल से निकलने के बाद शेर सिंह ने एक नया सिम खरीदा जिसके जरिए वो अपने परिवार और दोस्तों से टच में रहा। इसके बाद वो इधर-उधर घूमने लगा। हालांकि 2006 में उसे जब गिरफ्तार किया गया तो उसने दावा किया कि वो जेल से भागने के बाद भारत से बांग्लादेश, दुबई और वहां से अफ़ग़ानिस्तान गया था। उसने बताया कि उसका मकसद सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि तक पहुंचना था। शेर सिंह दावा करता रहा कि वो गजनी से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां उठाकर भारत लाया है। शेर सिंह ने इस पूरी कहानी का 40 मिनट का वीडियो भी बनाया।

दिल्ली में की थी फूलन देवी की हत्या

शेर सिंह की कहानी की शुरुआत होती है 25 जुलाई 2001 से। उस दिन फूलन देवी दिल्ली में अपने सांसद वाले बंगले के गेट पर अकेली खड़ी हुई थी। कोई सोच भी नहीं सकता था कि आगे क्या होने वाला है। चेहरे पर काला नकाब लगाए तीन लोग फूलन देवी के सामने आए और फिर धायं-धायं-धायं। तीनों ने गोलियों से चंबल की रानी बैंडिट क्वीन फूलन देवी को भून डाला। पूरे देश में आग की तरह खबर फैल गई। फूलन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उनकी मौत हो गई।

खीर खाकर फूलन देवी को गोलियों से भूना

अब सवाल ये था कि ये तीन हत्यारे थे कौन। तीनों में से एक शेर सिंह राणा जिसे गिरफ्तार किया गया। शेर सिंह राणा ने कबूल किया कि उसने ही फूलन को गोलियों से भूना। शेर सिंह राणा ने हत्या की वजह बताई ठाकुरों का बदला। हत्या के पहले सुबह-सुबह शेर सिंह राणा फूलन देवी के घर गया। वो फूलन देवी से मिला और बताया कि वो उनकी राजनैतिक पार्टी में शामिल होना चाहता था। फूलन देवी ने उसी वक्त पूजा की थी और प्रसाद के रूप में बनी खीर भी शेर सिंह राणा को खिलाई। उसके बाद उस वक्त तो वहां से चला गया, लेकिन करीब चार घंटे बाद वो फिर नकाबपोश बनकर लौटा और फूलन को मौत के घाट उतार दिया।

हत्या को बताया ठाकुरों का बदला

बैंडिट क्वीन की हत्या के बाद शेर सिंह को जेल में डाल दिया गया, लेकिन हर कोई उसके बारे में जानना चाहता था कि आखिर कौन था ये शेर सिंह राणा जिसने कहा कि मैंने फूलन को मारकर ठाकुरों का बदला लिया है। चलिए सबसे पहले ये जान लीजिए कि वो किस बदले की बात कर रहा था। दरअसल फुलन देवी काफी छोटी उम्र में ही चंबल की डाकू बन गई थी। बचपन में ही फूलन के माता-पिता ने उनकी शादी 50 साल के एक अधेड़ से करवा दी थी। फूलन के पति ने शादी के कुछ दिन बाद ही उसे घर से निकाल दिया था और दूसरी शादी कर ली थी। इसके बाद फूलन ने चंबल की राह पकड़ ली।

फूलन के साथ हुआ था रेप

चंबल में बाबू गुज्जर और विक्रम मल्लाह के साथ वो गैंग में शामिल हो गई। बाबू गुज्जर ने जब फूलन पर बुरी नजर डाली तो विक्रम ने उसका कत्ल कर दिया। उसी दौरान चंबल में ठाकुरों का भी एक गैंग था। फूलन के गैंग से अक्सर उनकी झड़प होती। ठाकुरों के इस गैंग ने विक्रम मल्लाह की जान ले ली। अब फूलन अकेली हो गई थी। इस गैंग ने फूलन देवी का किडनैप किया और तीन हफ्ते तक बेहमई गांव में बंधक बनाकर फूलन के साथ रेप करते रहे।

बदले में 22 ठाकुरों को गोली से भूना था

फूलन ने इस बात का बदला लेने की ठानी। अपने गैंग को मजबूत करने के बाद एक दिन वो बेहमई गांव पहुंची और फिर 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून डाला। एक साथ 22 ठाकुरों की मौत की खबर ने पूरे देश दहशत फैला दी। इसी घटना के बाद से फूलन बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर हो गई। उसका खौफ हर तरफ फैल गया था। हालांकि बाद में फूलने ने आत्मसमर्पण कर दिया। फूलन को 11 साल की सजा हुई। सजा काटने के बाद वो जब बाहर लौटी तो फिर राजनीति का रास्ता ले लिया और समाजवादी पार्टी से सासंद बन गई। बाद में फूलन ने एकलव्य सेना के नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई। शेर सिंह राणा उस दिन इसी पार्टी में शामिल होने के नाम पर फूलन के घर आया था, लेकिन मकसद था बेहमई कांड का बदला लेना।

राजपूत समुदाय का हीरो बनने की कोशिश

शेर सिंह राणा ने एक ऐसी कहानी गढ़ी कि समाज के एक तबके लिए वो हीरो बन गया। उसने खुद को राजपूतों के गौरव के रूप में स्थापित करने की हर कोशिश की। यहां तक की उसने जेल से ही चुनाव भी लड़ा। शेर सिंह ने राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के नाम से अपना राजनैतिक दल भी बनाया है। 2016 में शेर सिंह राणा को बेल मिल गई। एक तबका आज भी उसे हीरो के रूप में देखता है। यहां तक कि उसपर फिल्म बनाने की बात भी काफी चर्चा में रही।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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