परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली: विवाह के दिन भविष्य की जिंदगी की नींव पड़ जाती है। हर किसी का ख्वाब ऐसा जीवनसाथी पाने का होता है जो विवाहित जीवन को गुलजार कर दे। लेकिन सोचिए जब पता चले कि जिससे शादी हुई है, उसने कुछ घंटे पहले ही हत्या की है तो कैसा लगेगा? साहिल गहलोत की पत्नी वही अभागी है जिसकी शादी के दिन जिंदगी की बर्बादी की नींव पड़ गई। कल्पना कीजिए, नई-नई शादी के बाद तीन दिन पति के साथ बिताकर कितनी खुश होगी त्रिशा (बदला हुआ नाम) और तब कैसे उसकी जान हलक में आ गई होगी जब साहिल ने उसे अपनी असलियत बताई होगी? कैसा लगा होगा त्रिशा को जब नए-नवेले पति ने कहा होगा- मैंने हत्या की और थोड़ी देर बाद बारात लेकर तुम्हारे पास आ गया! जिसके साथ हसीन जिंदगी के सपने बुन रही होगी त्रिशा, उसी ने सपने के धागे ही तोड़ दिए। किसी की जिंदगी पर इससे बड़ा वज्रपात भला क्या हो सकता है? आखिर खुशी को इतनी जल्दी क्या थी कि आई और चली गई! साहिल को भंवर से किनारे लगाता है, यह कैसा साहिल है जिसने त्रिशा को, अपनी पत्नी को ही गहरे भंवर में धकेल दिया!
घर में शादी की रस्में और सड़क पर लाश ले घूम रहा था साहिल
अब जरा साहिल की सोचिए। उसके घर पर शादी की रस्में चल रही थीं और वह गर्लफ्रेंड की लाश लेकर दिल्ली की सड़कों का चक्कर लगा रहा था। 10 फरवरी को निक्की और साहिल को सुबह 7.30 बजे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़नी थी। निक्की का टिकट था, लेकिन साहिल का टिकट नहीं बन पाया। साहिल ने पुलिस को शायद बताया है कि वह निक्की के साथ उसके दक्षिण दिल्ली स्थित अपार्टमेंट से निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंचा। वहां उसे टिकट नहीं मिला तो गोवा का प्लानिंग कैंसल करके दोनों आनंद विहार आईएसबीटी की तरफ चल पड़े। फिर उन्हें पता चला कि उन्हें बस कश्मीरी गेट से मिलेगी, तो उन्होंने वहीं का रुख कर लिया।
तो गोवा में करता निक्की की हत्या?
पुलिस के मुताबिक, साहिल सुबह 9 बजे कश्मीरी गेट पहुंचा। उसकी निक्की के साथ इस बात पर बहस हो गई थी कि लापरवाही के कारण गोवा जाने का प्लान कैंसल करना पड़ गया। दरअसल, साहिल को अगर ट्रेन टिकट मिल गया होता तो दोनों 10 फरवरी को गोवा में होते, लेकिन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से उसे टिकट ही नहीं मिला। पुलिस को निक्की के ट्रैवल बैग से उसके नाम का टिकट मिला है। पुलिस को वह ट्रैवल बैग फ्रिज के पास ही पड़ा मिला जिसमें निक्की की लाश रखी हुई थी। पुलिस को लगता है कि साहिल को भी टिकट मिल गया होता तो वह निक्की की हत्या गोवा में करता।
सुबह की हत्या, शाम में शादी
अब साहिल की सच्चाई जानकर त्रिशा ही नहीं, उसके पूरे परिवार में किसी की जुबां ही नहीं खुल पा रही है। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) ने त्रिशा के परिजनों से संपर्क किया तो कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। सब सदमे में हैं। त्रिशा तो यही सोच रही होगी कि आखिर निक्की ने भी तो साहिल को लेकर वही सपने देखे होंगे जो उसने देख थे। साहिल अगर निक्की के सपनों का ही नहीं, निक्की का ही गला घोंट सकता है तो फिर भविष्य में उसके साथ भी तो ऐसा हो सकता है! क्या यह सोचकर उसका दर्द और नहीं बढ़ता होगा? साहिल ने एक गुनाह से तीन-तीन परिवार को तबाह कर दिया- अपना, निक्की और त्रिशा, तीनों का। लेकिन गजब कलेजा है साहिल का जिसने सुबह हत्या की और शाम को सेहरा बांधकर निकल पड़ा नई जिंदगी की बसाने।
साहिल, तूने क्या किया?
माता-पिता का इकलौता बेटा है साहिल। तीन सप्ताह पहले ही उसने ढाबा खोला था। पड़ोसी कहते हैं, साहिल कुल मिलाकर अच्छा लड़का जान पड़ता था। उसने शायद ही किसी से बदतमीजी की हो। साहिल के चाचा पास में ही रहते हैं। उन्होंने टीओआई से कहा कि अब गांव में हर कोई बस हत्या की बात ही जानना चाहता है। सब चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा बात पता हो कि साहिल ने मर्डर क्यों किया, निक्की कौन थी, दोनों के बीच कब से रिश्ता था, उनके रिश्तों के बारे में परिवार वालों को पता था या नहीं आदि आदि?
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."