दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ: रामचरितमानस (Ram Charit Manas) की कुछ चौपाइयों को लेकर विरोधियों के निशाने पर आए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने लगातार अपने विरोध पर हमला वार हैं। इसी बीच उन्होंने फिर एक ट्वीट किया है।
उन्होंने कहा किसी भी किसी भी संत, महंत, धर्माचार्य को न तो नीच अधम कहा गया और न ही प्रताड़ित, अपमानित किया गया फिर भी आग बबूला होकर धैर्य, संयम और विवेक खो दिये हैं। स्वामी ने आगे कहा कि सोचिये जरा उन महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों से जिन्हे धर्म के नाम पर आप रोजाना नीच, अधम, अपमानित व प्रताड़ित करते हैं उनकी क्या हालत होगी।
किसी भी संत, महंथ, धर्माचार्य को न तो नीच अधम कहा गया और न ही प्रताड़ित, अपमानित किया गया फिर भी आगबबूला होकर धैर्य, संयम और विवेक खो दिये हैं, सोचिये जरा उन महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो से जिन्हे धर्म के नाम पर आप रोजाना नीच, अधम, अपमानित व प्रताड़ित करते हैं।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) February 11, 2023
बता दें कि सपा के विधान परिषद के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से वह धर्म नहीं है, यह ‘अधर्म’ है। मौर्य ने कहा था, ‘‘रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जो जनजातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं।
मौर्य ने मांग की थी कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं । उसके बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य हिन्दू संगठनों के निशाने पर है। उसके खिलाफ संगठन ने कार्रवाई की मांग की।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."