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November 22, 2024 3:38 pm

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‘ईंट’ से बना ‘इटावा’ क्‍या अब कहलाएगा ‘मुलायम नगर’ ; जानें इटावा की खास बातें

14 पाठकों ने अब तक पढा

राकेश तिवारी की रिपोर्ट 

इटावा (Etawah)। शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। सुर्खियां बंटोरने का कारण यह है कि इटावा शहर का नाम बदलने को लेकर यूपी की राजनीति में सियासी घमासान शुरू हो गया है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया कि अब इटावा का नाम मुलायम सिंह यादव के नाम से जाना जाएगा। सपा के गढ़ कहे जाने वाले इटावा को ‘मुलायम नगर’ करने की जद्दोजहद तेज हो गई है। हमसे बहुत लोग इटावा को सपा के गढ़ के रूप में ही देखते हैं। तो आइये जानते हैं इटावा शहर का इतिहास क्‍या है…

इतना आसान नहीं नाम बदलना 

अगर आप सोच रहे हैं कि किसी भी शहर का नाम बदलने के ऐलान करने के साथ ही उसका नाम बदल दिया जाता है तो आप गलत हैं। किसी भी शहर का नाम बदलने के लिए एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है। बिना यह प्रक्रिया अपनाए कोई सरकार किसी भी शहर या जिले का नाम नहीं बदल सकती है।

जानें इटावा शहर का इतिहास 

यूपी का इटावा शहर यमुना नदी के किनारे बसा है। यह शहर 1857 के विद्रोह के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इटावा के पास एक समृद्ध इतिहास है। माना जाता है कि मध्ययुगीन काल में कांस्य युग से ही जमीन अस्तित्व में थी। यहां तक ​​कि पौराणिक किताबों में इटावा महाभारत और रामायण की कहानियों में प्रमुख रूप से प्रकट होता है। यह पाया गया है कि इटावा का नाम ईंट बनाने के नाम पर लिया गया शब्द है, क्योंकि सीमाओं के पास हजारों ईंट केंद्र हैं।

मुलायम सिंह से इस शहर का क्‍या रिश्‍ता  

समाजवादी पार्टी के संरक्षक दिवंगत मुलायम सिंह यादव का जन्‍म इटावा के सैफई में हुआ था। मुलायम सिंह यादव दंगल में कई पहलवानों को धूल चटा चुके थे, हालांकि पहलवानी में ज्‍यादा दिन तक उनका मन लगा नहीं और सियासी दांव आजमाने लगे। मुलायम  सिंह यादव यूपी की सियासत में आए भी और 3 बार सूबे के सीएम चुने गए। वहीं, केंद्र सरकार में भी उन्‍हें रक्षा मंत्रालय की जिम्‍मेदारी एक बार मिल चुकी है।

कैसे आया सुर्खियों में 

पिछले दिनों इटावा में जिला पंचायत बोर्ड की बैठक आयोजित की गई। बैठक में इटावा का नाम बदलकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के नाम पर मुलायम नगर करने की मांग की गई। दरअसल, सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव इटावा के जिला पंचायत अध्‍यक्ष हैं। उन्‍होंने ही यह प्रस्‍ताव रखा है. अभिषेक का मानना है कि इटावा की पहचान मुलायम सिंह यादव से है।

क्‍यों मचा सियासी घमासान 

इटावा का नाम मुलायम नगर करने की मांग पर सियासी घमासान भी शुरू हो गई है। भाजपा ने सपा के इस प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया है। तो वहीं, कांग्रेस का मानना है कि अगर किसी शहर का नाम बदलने से विकास संभव है तो जरूर ऐसा करना चाहिए। शहर का नाम बदलने से विकास नहीं होता, लोग याद रहते हैं तो पुराना नाम ही याद रखते हैं।

भाजपा को क्‍या नुकसान 

बता दें कि केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल ही में मुलायम सिंह यादव को दूसरा सबसे बड़ा सम्‍मान पदमविभूषण से सम्‍मानित किया‌। ऐसे में वह क्‍यों नहीं चाहेगी कि इटावा का नाम बदला जाए। दरअसल, भाजपा जानती है कि इटावा सपा बाहुल्‍य क्षेत्र है। तो वह यादव मतदाताओं को रिझाने का काम करने में लगी है। ऐसे में नाम बदलने के प्रस्‍ताव पर मुहर लगाना पार्टी के लिए किसी बड़े नुकसान जैसा हो सकता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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