दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बरेली: इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाना गंभीर हैं। मौलाना तौकीर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं। उन्हें यह बात अब कहने के बजाय तब कहनी चाहिए थी जब वह भाजपा में थे और सत्ता में सहयोगी थे। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहतर जवाब दे सकते हैं।
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क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
बता दें कि मौर्य ने रविवार को कहा था, “धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो, तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है।” उन्होंने आरोप लगाया था, “रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है। इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं।” मौर्य ने मांग की थी, “रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश, जो जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समुदायों का अपमान करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”
धीरेंद्र शास्त्री आरएसएस में शामिल हो जाएं
धीरेंद्र शास्त्री के देश को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने की बात कहने को लेकर मौलाना ने कहा कि यह बात आरएसएस जमाने से कहती आई है। मुहिम चलाने से बेहतर है कि धीरेंद्र शास्त्री आरएसएस में शामिल हो जाएं। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र की सबसे पहली कोशिश आरएसएस ने जिन्ना के जरिए देश का बंटवारा कराकर की थी। मुसलमान अपने देश से प्यार करता है। हमारा देश आस्थाओं का देश है। यह सबका देश है, कभी हिंदू राष्ट्र नहीं बन सकता।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."