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29 December 2024 1:39 am

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भीख मांग कर गुजारा करने वाले बच्चे की खुली किस्मत, रातों-रात बना लखपति

24 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

सहारनपुरः छोटी सी उम्र में माता-पिता को खोने के बाद भीख मांग के गुजारा करने वाले दस साल के बच्चे की अचानक किस्मत खुल गई। जो बच्चा कल तक सड़को पर एक-एक रुपया मांग कर अपना गुजारा करता था, अब वह लखपति बन गया है। दरअसल इस बच्चे को उसके दादा ने वसीयत में आधी जायदाद दी है, जिससे यह बच्चा आज लाखों का मालिक बन गया है।

बता दें कि सहारनपुर जिले में रुड़की के पिरान कलियर में भीख मांग कर गुजारा करने वाले दस साल के शाहजेब को अचानक उसका खोया हुआ परिवार मिल गया है, जिससे अब वह लाखों का मालिक बन गया है।

दरअसल शाहजेब की छोटी सी उम्र में ही उसके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद कोरोना संक्रमण काल में उसकी मां की भी मौत हो गई। जिससे वह अनाथ हो गया और उसको अपना गुजारा करने के लिए लोगों से भीख मांगनी शुरू कर दी थी।

मां की मौत के बाद बेघर हो गया था शाहबेज

दरअसल सहारनपुर के पंडोली गांव निवासी इमराना के पति मोहम्मद नावेद की असमय मौत हो गई थी। जिसके बाद साल 2019 में इमराना ससुरालवालों से अनबन होने पर अपने बेटे शाहबेज को लेकर अपने मायके यमुनानगर में रहने चली गई थी। इस दौरान इमराना के ससुराल वालों ने उसको मनाने की कोशिश भी की लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद वह अपने बच्चे को लेकर कलियर चली गई। परिजनों ने तब भी काफी ढूंढा लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी दौरान कोरोना महामारी शुरू हो गई और शाहबेज की मां इमराना को भी कोरोना हो गया, जिससे उसकी मौत हो गई। मां की मौत के बाद शाहजेब बेघर हो गया था।

काफी समय से शाहबेज की तलाश में जुटे हुए थे उसके दादा

इसके बाद शाहबेज ने कलियर में ही लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया था। वहीं, दूसरी तरफ इमराना के ससुराल वाले शाहजेब और इमराना की फोटो सोशल मीडिया में डाल कर उनको ढूंढ रहे थे। इसी दौरान शाहजेब के छोटे दादा शाह आलम के दूर का रिश्तेदार मोबिन किसी काल के लिए कलियर आया था। जहां उसकी नजर बाजार में घूमते शाहजेब पर पड़ी। जिसके बाद  उसने शाह आलम को शाहबेज के मिलने की सूचना दी। वहीं, पूछने पर शाहजेब ने मोबिन को अपनी मां का नाम बताया तो उन्हें यकीन हो गया कि उसकी ही तलाश की जा रही है। पोते के मिलने की सूचना मिलते ही शाह आलम कलियर आए और शाहजेब को अपने साथ सहारनपुर ले गए।

मौत से पहले ही दादा ने कर दी थी आधी जायदाद नाम

बता दें कि बेटे की मौत के बाद बहू और पोते के घर छोड़कर चले जाने से मोहम्मद याकूब को गहरा सदमा लगा था। इसके 2 साल बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया था। वहीं, मौत से पहले उन्होंने शाहजेब को खोजने की काफी कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिला। तब मरने से पहले उन्होंने वसीयत में अपनी आधी जायदाद अपने पोते शाहबेज के नाम कर दी थी और बाकी की जायदाद अपने दूसरे बेटे के नाम कर दी थी। जिसमें एक पुश्तैनी मकान और 5 बीघा जमीन शाहबेज के नाम पर की गई थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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