सुरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
नई दिल्ली , इस सीजन की यह सबसे बड़ी रैली थी।भारी संख्या में रैली में लोग शामिल होने का मतलब बेचैनी और निराशा है। इनकी आवाज मोदी सरकार और मुख्य धारा की मीडिया को भले न पता हो लेकिन सच्चाई है कि अन्दर बहुत ही ताकतवर आवाज है और आज रामलीला मैदान में दिखने को मिली है। धन और आय का अंतर बढ़ता जा रहा है जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। इस रैली की विशेषता है कि इसमें भागेदारी पूरे देश है। दिनों दिन दलित और पिछड़े पीछे धकेले जा रहे हैं और उसका रोष आज की रैली में दिखा।
डॉ उदित राज , अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ ने विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा यह पर्याप्त नही है सभी वर्गों के लोग एक धरा पर रहें जब तक सभी के साथ बराबरी का व्यवहार न किया जाए। जहां भेदभाव और असमानता होगी वहां मज़बूत राष्ट्रीय भावना या बंधन नही होगा।
दलित, आदिवासी ( वनवासी नही) और पिछड़े मीडिया, बाज़ार, वित्तीय क्षेत्र आदि में पहले से ही नही के बराबर थे , अब और तेजी से बाहर धकेले जा रहे हैं। अल्पसंख्यक दोयम दर्जे के नागरिक बनते जा रहे हैं। लगातार आय और धन संग्रह में फासला बढ़ता जा रहा है जो देशहित में नही है।शब्दों से भारत विश्वगुरु नही बनने वाला है इसलिए सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाए। इन वंचितों को अपमानित न किया जाए और मूलभूत आवश्यकताओं को मुहैया कराना पड़ेगा। जो लोग यह कुछ होते नही देख पा रहे हैं या स्वीकार नहीं करना चाहते वो देश के दुश्मन हैं।
डॉ उदित राज ने आगे कहा नामकरण और नामों का परिवर्तन का सिलसिला तेजी से चल रहा है। मुगलसराय का नाम दीन दयाल उपाध्याय, फैजाबाद का अयोध्या, सरदार पटेल स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी।
आज की रैली में एक मत से प्रस्ताव पास हुआ कि नई संसद का नामकरण डॉ बी आर अम्बेडकर हो। तेलंगाना की विधान सभा ने 13 सितंबर 22 को प्रस्ताव पास करके मोदी सरकार को भेजा है कि नई संसद का नाम बाबा साहेब के नाम से हो।
आज की दिल्ली की रामलीला मैदान कि रैली निम्न मांगे स्वीकृत की गईं।
नई संसद का नाम डॉ अंबेडकर रखा जाए, निजीकरण बंद हो, लगातार सरकारी संस्थाओं को बेचा जा रहा , उस पर फौरन रोक लगे, दलित, आदिवासी व पिछड़ों को निजी क्षेत्र में आरक्षण हो, गरीब सवर्णो के आरक्षण पर आए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 50% की सीमा को हटा दिया है और सबको न्याय के लिऐ दलित, आदिवासी, पिछड़ों और अल्पसंख्यक को आबादी अनुसार आरक्षण हो। सरकारी पैसे से जो भी योजना या कार्य किए जा रहें हो वहां कार्य कर रहे कर्मियों में अनुपातिक आरक्षण एससी/एसटी/ओबीसी को मिले। उच्च न्याय पालिका में आरक्षण हो, एससी/एसटी/ओबीसी के द्वारा चलित उद्योगों को सरकारी खरीद और ठेकेदारी में आरक्षण या भागेदारी दी जाए। ईवीएम प्रतिबंधित हो, जाति जनगणना हो, शिक्षा का भगवाकरण बंद हो, जम्मू कश्मीर में पहाड़ी सवर्णो का आरक्षण असंवैधानिक है, रोक लगे।
Author: samachar
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