दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
सहारनपुर । निकाय चुनाव दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि करोड़पति प्रत्याशियों को एक जलेबी वाला टक्कर देने के लिए तैयार है। 100 से 200 रुपए रोज कमाने वाला असगर परवेज वैसे तो पिछले 4 चुनाव हार चुका है, लेकिन फिर भी वो टूटा नहीं है। वो 5वीं बार चुनाव लड़ने जा रहे है। दैनिक भास्कर से बातचीत में परवेज ने बताया, “मरते दम लड़ूंगा। मेरे से पास टाइम ही टाइम है। मुझे तो खिदमद करनी है।”
असगर परवेज ने बताया, ”1990 में पहली बार सेक्टर-30 से चुनाव लड़ा था। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री काजी रशीद मसूद ने लोकदल से टिकट दिया। पूरे चुनाव में मात्र दो हजार रुपए खर्च हुए। 808 वोट मिले, लेकिन चुनाव हार गया। दूसरे नंबर पर रहा। इसके बाद 1995 में सेक्टर 31 से लड़ा। करीब 1000 वोट मिले। इस पर भी दूसरे नंबर पर रहा। साल 2000 में वार्ड नंबर-55 से चुनाव लड़ा। 1100 वोट मिले, लेकिन इस बार भी हार का मुंह देखना पड़ा। हार ऐसी कि इस बार भी दूसरे नंबर पर रहकर संतोष करना पड़ा।”
परवेज ने बताया कि 2000 के बाद सहारनपुर में कोई भी नगरपालिका का चुनाव नहीं हुआ। तत्कालीन सीएम मायावती ने 2009 में नगर निगम की घोषणा कर दी, लेकिन नगर निगम का चुनाव 2017 में हुआ।
असगर ने कहा, ”8 साल बाद यानी 2017 में निगम के पहला चुनाव में फिर से किस्मत आजमाई, लेकिन इस बार चुनाव का रवैया और पुरानी चली आ रही रवायत बदल चुकी थी। प्रत्याशी जीत के लिए करोड़ों खर्च कर रहे थे। इसके उलट मैंने सादगी से चुनाव लड़ा। वार्ड नंबर-66 से खड़ा हुआ। मेरा मुकाबला इस बार करोड़पति पार्षद गुलशेर से था, लेकिन मैं पीछे नहीं हटा। चुनाव हारने के बाद भी मैं दूसरे नंबर पर रहा। मुझे 1479 वोट मिले थे।”
‘मुलायम सिंह नाम से जानते थे’
असगर परवेज कहा, ”सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव सहारनपुर पहुंचे थे। उनसे मिलने का सौभाग्य मिला। जब वह खड़े हुए तो उनकी बराबर वाली सीट पर बैठ गया। इसके बाद वह मुस्कुराए। बोले- क्या कर रहे हो मियां। नाम क्या है आपका। उनके पूछते ही मैंने तपाक से बोल दिया-असगर परवेज। फिर उन्होंने पूछा- क्या करते हों? मैंने कहा- जलेबी की रेहड़ी लगाता हूं। इसके बाद उन्होंने कहा- कभी खिलाना…ये बोलकर वह मुस्कुराकर चले गए।
असगर परवेज सुबह से शाम तक कमेले की पुलिया पर जलेबी और पकौड़ी की रेहड़ी लगाते हैं। उनकी रेहड़ी पर ज्यादातर चुनावी चर्चा ही होती है। असगर लोगों को राजनीति की किस्से सुनाते हैं और लोगों के बताए किस्सों को सुनते हैं। असगर ने बताया कि वह साइकिल से अपना चुनाव प्रचार करते हैं। असगर के दो बेटे हैं। वो भी मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं।
Author: samachar
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