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November 22, 2024 3:25 am

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देवताओं की भी यादगार “महारास” को कलियुग में पुनर्जीवित कर गई हेमा मालिनी ; मथुरा का जड़ चेतन बना गवाह

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ठाकुर के के सिंह की रिपोर्ट

मथुरा। पूर्णिमा की धवल रात..आसमां से उस रात, कृष्ण भगवान ने गोपिकाओं संग महारास रचाया था, उस महारास के देवता भी गवाह रहे होंगे, इस रात भी महारास हुआ, समूचा मथुरा गवाह रहा। दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए।

क्या हो गया राधिका को, प्रेम को मोल बरसन लागे, रंगीली रंगदार चूडिय़ां बेचे जैसे प्रेम पगे गीतों पर शास्त्रीय अंदाज में महारास ने पूरे जवाहर बाग को आलोकित कर दिया। दर्शक आह्लादित और आनंदित हो गए।

इस मौके पर सासंद और प्रसिद्ध सिने तारिका हेमा ने कहा, द्वापरयुग में हर गोपी की इच्छा थी, भगवान श्रीकृष्ण के साथ रास रचाए। भगवान श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों संग शरद पूर्णिमा पर रास रचाया। जितनी गोपियां थीं, उतने ही कृष्ण भगवान । इसे ही महारास नाम दिया गया। महारास की आभा ने वक्त को सम्मोहित कर ठहरने को विवश कर दिया। छह माह तक चंद्रदेव अपने स्थान से नहीं हटे।

हेमामालिनी ने महारास की पूरी थीम खुद तैयार की । कहा ये उनकी पहली मंचीय प्रस्तुति नहीं है। इससे पहले उन्होंने 2015 और 2018 में छटीकरा, वृंदावन और वेटेरिनरी विश्वविद्यालय में भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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