मनोज उनियाल की रिपोर्ट
ये भारत का आखिरी गांव कहलाता है। देश का आखिरी बस स्टैंड, आखिरी स्कूल, आखिरी पोस्ट ऑफिस और आखिरी ढाबा भी यहीं है। चीन-तिब्बत की सीमा पर मौजूद इस गांव में 471 वोटर हैं, लेकिन यहां के रीति-रिवाज बिल्कुल हटकर हैं।
देवी को पूजने वाले इस गांव में एक महिला दो या दो से ज्यादा पुरुषों से शादी कर सकती है। यही नहीं बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता। बाहरी लोगों की परछाई खाने पर पड़ जाए तो उसे फेंक दिया जाता है।
ये कहानी है भारत-तिब्बत ओल्ड रोड पर सांगला से 28 किलोमीटर दूर बसे खूबसूरत छितकुल गांव की। यहां से तिब्बत-चीन बॉर्डर करीब 60 किलोमीटर दूर है। पहले बॉर्डर के उस पार आना-जाना भी होता था, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से सब बंद है।
यहां आना बेहद जोखिम भरा है, सड़कें इतनी संकरी हैं कि जरा सी चूक और आप कई सौ फीट गहरी खाई में गिर जाएंगे। बर्फबारी के मौसम में मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। सड़कों पर बर्फ की चिकनी परत जम जाती है, जिससे टायर फिसलते हैं और अचानक ब्रेक लगाना पड़े तो जान ही निकल जाती है।
छितकुल की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और कई कानून भी देश के दूसरे हिस्सों से बिल्कुल अलग हैं। यहां देश के बाकी हिस्सों की तरह हिंदू मैरिज एक्ट और सक्सेशन एक्ट (उत्तराधिकार कानून) लागू नहीं होता।
महिलाओं को 4 शादियां करने की आजादी है। ज्यादातर मामलों में महिलाएं एक ही परिवार के 2 या 4 भाइयों से शादी करती हैं। ऐसा होना जरूरी नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसा ही होता है। ये महिला अपने सभी पतियों के साथ एक ही घर में रहती है।
ये परंपरा कहां से आई?
मेरे इस सवाल का जवाब पास खड़े पूर्व उप प्रधान अरविंद नेगी देते हैं- माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान पांडव जब अज्ञातवास पर थे, तब वे यहां आए थे। सर्दियों के दौरान गांव की एक गुफा में द्रौपदी और कुंती के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया था। बाद में यहां के स्थानीय लोगों ने भी कई पतियों वाली परंपरा को अपना लिया। इसे स्थानीय भाषा में घोटुल प्रथा भी कहते हैं।
4 पति एक पत्नी के साथ मैनेज कैसे करते हैं?
इसके जवाब में अरविंद मुस्कुराते हुए बताते हैं- शादी के बाद अगर कोई भाई पत्नी के साथ कमरे में है, तो वह कमरे के दरवाजे के बाहर अपनी टोपी रख देता है। जो इस बात की पहचान है कि पति-पत्नी एकांत चाहते हैं। ऐसे में उसके दूसरे पति कमरे में नहीं जा सकते।
शादी की भी अलग परंपरा है। यहां देवी-देवता की मर्जी से ही शादी होती है। शादी से पहले यहां मंदिर में बलि दी जाती है। इसके बाद देवता को घर लाया जाता है। दुल्हन के घर जाने से पहले पुजारी नदी और नालों के पास बुरी शक्तियों को भगाने की पूजा करते हैं। शादी से ठीक पहले दूल्हा-दुल्हन मंदिर में पूजा के लिए जाते हैं। दहेज लेने और देने दोनों पर रोक है।
इस गांव के लोग सक्सेशन एक्ट (उत्तराधिकार कानून) को भी नहीं मानते। सुभाष नेगी के मुताबिक छितकुल की परंपरा के मुताबिक लड़की का पिता की संपत्ति पर कोई हक नहीं होता, न ही उसे हिस्सा दिया जाता है। जिस परिवार में सिर्फ लड़कियां है, वहां सिर्फ कुंवारे होने तक ही लड़कियों को पिता की संपत्ति के इस्तेमाल का अधिकार दिया जाता है।
शादी के बाद सारी प्रॉपर्टी सबसे नजदीकी रिश्तेदारों को ट्रांसफर कर दी जाती है। पोलिनिरी सिस्टम (एक से ज्यादा लाइफ पार्टनर होना) के कारण एक पिता के निधन के बाद दूसरे पिता को संपत्ति ट्रांसफर हो जाती है और उसके निधन के बाद उसके बच्चे को प्रॉपर्टी मिलती है।
खाने पर बाहरी की परछाई पड़ी तो फेंक देते हैं
गांव के प्रधान सुभाष और अरविंद चुनाव की तैयारियों के लिए निकल जाते हैं, तो मैं गांव में अकेले घूमने निकलता हूं। गांव के मुख्य चौक से थोड़ा आगे बढ़ने पर एक शादी का पंडाल नजर आता है। यहां चेतराम नेगी खाने-पीने का अरेंजमेंट देख रहे थे।
मैं जैसे ही कैमरा निकालकर फोटो लेने लगता हूं तो चेतराम भड़क जाते हैं। कहते हैं- बाहरी लोगों के लिए गांव में सख्त नियम हैं। खाना बनाने के दौरान अगर बाहरी व्यक्ति उसे छू देता है या उसकी परछाई भी खाने पर पड़ जाती है तो वह खाना फेंक दिया जाता है।
वजह है कि यह खाना सबसे पहले उनकी कुल देवी को चढ़ाया जाता है, इसके बाद ही उसे कोई खा सकता है। शादी में पूरे गांव को निमंत्रण दिया जाता है। लड़की के परिवार के लिए पूरे गांव को खाना खिलाना जरूरी होता है।
अदालत-पुलिस की जरूरत नहीं
गांव के ही शंकर लाल बताते हैं कि छितकुल के लोग पुलिस और अदालतों पर ज्यादा भरोसा नहीं रखते हैं। 59 साल उम्र होने के बावजूद वे आज तक पुलिस स्टेशन या अदालत नहीं गए। बॉर्डर एरिया होने के कारण पुलिस सिर्फ पेट्रोलिंग के लिए ही आती है।
छितकुल में भेड़-बकरी पालन और खेतीबाड़ी ही इनकम का बड़ा सोर्स है। हालांकि पिछले कुछ साल के दौरान यहां टूरिज्म बढ़ने के बाद कई होटल और होमस्टे भी खुले हैं। यहां सबसे ज्यादा टूरिस्ट अप्रैल से सितंबर के बीच ही आते हैं। इसके बाद यहां बर्फ पड़ने लगती है और देश के दूसरे हिस्सों से संपर्क टूट जाता है।
देश का आखिरी स्कूल और पोस्ट ऑफिस
छितकुल में एक सरकारी स्कूल भी है। इस पर लिखा है देश का आखिरी स्कूल। यहां पहली से 10वीं तक की पढ़ाई हो सकती है, लेकिन स्कूल में सिर्फ 21 बच्चे हैं। टीचर देवभक्ति नेगी ने बताया कि स्कूल में कई पोस्ट खाली हैं, लेकिन सरकार उन्हें भर नहीं रही। उन्हें अकेले ही पूरा स्कूल संभालना होता है।
महिलाएं बात करने से हिचकती हैं, बिजली बड़ी समस्या है
छितकुल की महिलाएं बाहरी लोगों से बात नहीं करतीं। मैं कई बार कोशिश करता हूं तो शकुंतला देवी बात करने के लिए राजी होती हैं। चुनाव से जुड़े सवाल करने पर वे कहती हैं- बर्फबारी के दौरान सड़क बंद हो जाती है। 6 महीने तक हम बिना बिजली के रहते हैं। लैंड स्लाइड से भी रास्ता बंद हो जाता है।
इसी दौरान मेरी मुलाकात गांव की पूर्व प्रधान राजकुमारी से भी होती है। वे शिक्षा को सबसे बड़ा मुद्दा मानती हैं। उनके मुताबिक पूरा स्कूल एक टीचर के भरोसे चल रहा है, जो इस समस्या का समाधान करेगा हम उसी को वोट देंगे।
छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा भी मौजूद है। ढाबे के मालिक राज किशन नेगी बताते हैं कि साल 1999 में उन्होंने इसे शुरू किया था और धीरे-धीरे यह इतना पॉपुलर हुआ कि कॉमेडियन कपिल शर्मा, सनी देओल, किरण राव, सारा अली खान, कार्तिक आर्यन, आशीष विद्यार्थी और ग्रेट खली जैसे कई सेलिब्रिटी यहां आ चुके हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."