Explore

Search
Close this search box.

Search

November 25, 2024 3:12 am

लेटेस्ट न्यूज़

कमाल है ; 156 साल पुराना “मदरसा दारूल उलूम देवबंद” भी नहीं है मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड : जानिए क्या है मामला 

12 पाठकों ने अब तक पढा

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के निर्देश पर राज्य के मदरसों का सर्वे किया गया। जिसमें सहारनपुर जिले में अब तक 360 मदरसे सरकार से गैर सहायता प्राप्त पाए गए। वहीं जो सबसे बड़ा चौकाने वाला खुलासा हुआ है, वो यह है कि देवबंद स्थित 156 साल पुराना फतवा जारी करने वाला मदरसा दारुल उलूम भी यूपी मदरसा बोर्ड से रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन यह सोसाइटी एक्ट में रजिस्टर्ड है।

दरअसल, राज्य सरकार के आदेश के बाद जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने भी गैर सहायता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिए थे। तहसील स्तर पर टीम बनाकर सर्वे शुरू किया गया है। जिले में 10 सितंबर को सर्वे का काम शुरू हुआ था। सहारनपुर की सदर तहसील में सबसे ज्यादा गैर सहायता प्राप्त मदरसे हैं। सबसे कम सहायता प्राप्त मदरसे बेहट तहसील में मिले हैं। चूंकि अभी सर्वे चल रहा है ऐसे मदरसों की संख्या बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा कि अब तक 360 से ज्यादा ऐसे मदरसे मिल चुके हैं, जिन्हें सरकार से गैर सहायता प्राप्त हैं। सदर तहसील में सबसे ज्यादा 123 मदरसे हैं। जबकि सबसे कम मदरसे बेहट तहसील में मिले हैं। हालांकि बेहट तहसील में सर्वे चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बेहट तहसील में मदरसों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। डीएम सर्वे रिपोर्ट तैयार कर 15 नवंबर तक शासन को भेजेंगे।

यूपी में रचा इतिहास लेकिन आप जानते हैं कैसे? तो इस लाइन को क्लिक करें और पढ़ें 

जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने कहा, ‘सर्वेक्षण टीम निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसमें मदरसों के पाठ्यक्रम, स्थापना वर्ष, संस्थापक, संचालन संस्थान, छात्रों की संख्या, मदरसों को सरकारी सहायता और शिक्षकों की संख्या आदि पर एक बिंदुवार सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

डीएम अखिलेश सिंह ने कहा, ‘अब तक 360 ऐसे मदरसों का पता चला है जो सरकार से गैर सहायता प्राप्त हैं। दारुल उलूम भी उसी में से एक है, लेकिन यह सोसायटी अधिनियम में पंजीकृत है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि यह अवैध है। सर्वे को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है।

इस गांव में योगी आदित्यनाथ को लोग मानते हैं भगवान लेकिन आप जानते हैं क्यों? जानने के लिए क्लिक करें इस लाइन को 

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का उद्देश्य यह पता लगाना है कि कितने मदरसों को सरकार से सहायता मिल रही है। सरकार द्वारा सहायता प्राप्त मदरसों को अल्पसंख्यक विभाग में पंजीकरण कराना आवश्यक है, लेकिन सरकार से सहायता नहीं लेने वाले मदरसों को तब तक अवैध नहीं कहा जा सकता, जब तक कि यह पुष्टि न हो जाए कि उन्हें प्राप्त सहायता का स्रोत उचित नहीं है।

मदनी ने किया था मदरसों का सम्मेलन, कहा था- डरने-घबराने की जरूरत नहीं

बता दें, राज्य सरकार द्वारा बिना सहायता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण के विरोध में दारुल उलूम देवबंद में यूपी के मदरसों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि मदरसों का सर्वेक्षण करना सरकार का अधिकार है। मदरसों के अंदर कोई अवैध गतिविधि नहीं है। यह पता लगाना सरकार की जिम्मेदारी है कि क्या कोई है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण पर आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम देवबंद ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि सर्वेक्षण से डरने और घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सर्वेक्षण में सहयोग करें और पूरी और सही जानकारी दें।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़