आर के मिश्रा की रिपोर्ट
बहराइच। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के मुताबिक अब तक हुई जांच में 150 मदरसा गैर मान्यता प्राप्त पाए गए हैं। कई अवैध रूप से भी संचालित मिले हैं।
जिले में अवैध व गैर मान्यता मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सोसाइटी का पंजीयन कराकर मान्यता न लेने की वजह बताने को भी प्रबंधन तैयार नहीं है। नानपारा में मंगलवार को जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने दो मदरसों की जांच की। दोनों का पंजीयन मिला, लेकिन मान्यता नहीं पाई गई। इनमें चार बीघे में बना मदरसा जामिया कासमिया खैरुल उलूम 41 वर्षों से 31 लाख आवामी चंदों से संचालित हो रहा है।
नानपारा तहसील क्षेत्र में मदरसों की जांच के लिए जिलास्तरीय टीम पहुंची। टीम ने 1981 से संचालित मदरसा जामिया कासमिया खैरुल उलूम का निरीक्षण किया। यहां 305 विद्यार्थी पंजीकृत मिले। इनमें 126 बच्चे हॉस्टल में पाए गए। 15 शिक्षक कार्यरत दर्शाए गए हैं। जांच में मदरसा का पंजीकरण पाया गया, लेकिन चार दशक पुराने मदरसे की मान्यता न कराने के पीछे की वजह प्रबंधक मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी नहीं बता पाए। बताया गया कि 31 लाख रुपये आवामी चंदा से मदरसे का संचालन हो रहा है। कस्बे के रानीबाग में स्थित मदरसा कासिफुल उलूम भी जांच में गैर मान्यता प्राप्त पाया गया है। (प्रदर्शित चित्र सांकेतिक है)
Author: samachar
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