दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
पिछले कुछ समय से दुनिया भर में हिजाब (Hijab) को लेकर विवाद हो रहा है… कहीं हिजाब पहनने को लेकर महिलाएं विरोध कर रही हैं तो कहीं पर हिजाब पहनने की इजाजत मांगी जा रही है… भारत में इन दिनों हिजाब को स्कूल में पहनने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है… जिसका फैसला आ गया है… लेकिन फैसला सुनाने वाले दोनों जजों का मत अलग-अलग है… तो आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में ये पूरा मामला क्या है… और दो जज एक-दूसरे से सहमत क्यों नहीं हो पाए…
हिजाब को लेकर चल रहे विवाद और कोर्ट के फैसले को लेकर देश में सियासी तूफान मचा हुआ है। एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “मेरे विचार में उच्च न्यायालय का निर्णय कानून की दृष्टि से गलत था और विषय के मामले में भी दोषपूर्ण था, इसने कुरान की टिप्पणियों और अनुवादों का दुरुपयोग किया। कर्नाटक की लड़कियां हिजाब इसलिए पहन रही हैं, क्योंकि अल्लाह ने उन्हें कुरान में ऐसा करने के लिए कहा है। बीजेपी ने खामख्वाह इसे मुद्दा बना रही है।”
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को कहा कि वह स्कूलों में निर्धारित पोशाक (यूनिफॉर्म) के अलावा छात्रों के हिजाब या कोई अन्य परिधान पहनने का हमेशा विरोध करती रहेगी। पार्टी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल ‘‘अलगाववाद’’ के लिए नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय द्वारा कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इंकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया।
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इस संदर्भ में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने कहा कि अदालत के फैसले पर उनका प्रतिक्रिया देना उपयुक्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लेकिन वह ‘‘अलगाववादी मानसिकता’’ के खिलाफ हमेशा बात करेंगे। उन्होंने कहा कि मामला स्कूलों में हिजाब पहनने या ना पहनने का नहीं है बल्कि क्या पहनना है ये है। इसलिए स्कूलों में यूनिफॉर्म ही होने चाहिए ना कि हिजाब या कोई अन्य पोशाक।
Author: samachar
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