अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
मुस्लिम शख्स की दूसरी शादी से जुड़े एक अहम फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल नहीं कर सकता, तो कुरान उसे दूसरी बार शादी करने की इजाजत नहीं देता है। हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला को अपने पति के साथ रहने के लिए मजबूर करने से इनकार कर दिया, जिसने अपनी बीवी की सहमति के बगैर और उसे बिना बताए दूसरी शादी की थी।
19 सितंबर 2022 को दिए गए इस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा समय की जरूरत है कि लोगों को जागरूक किया जाए और उन्हें बताया जाए कि महिलाओं के साथ सम्मान और गरिमा का व्यवहार करना जरूरी है।
महिलाओं का सम्मान करने वाला देश ही सभ्य: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं का सम्मान करने वाले देश को ही सभ्य देश कहा जा सकता है। अदालत ने कहा, “मुसलमानों को खुद ही एक पत्नी के रहते दूसरी से शादी करने से बचना चाहिए। एक पत्नी के साथ न्याय न कर पाने वाले मुस्लिम को खुद कुरान ही दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं देता।” हाईकोर्ट ने कुरान के हवाले से कहा कि अगर मुस्लिम अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करने में सक्षम नहीं है, तो उसे दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं होगी।
अदालत ने कहा कि कोर्ट अगर पहली पत्नी की मर्जी के खिलाफ उसे पति के साथ रहने को मजबूर करती है, तो यह महिला की गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का उल्लघंन होगा।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."